नैनीताल में नैनी झील सिल्वर कार्प और गोल्डन महाशीर मछली के बीज डाले गए
रिपोर्टर – गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। प्रसिद्ध नैनीझील की पारिस्थितिकी को बनाये रखने के लिए पंतनगर विश्वविद्यालय के मत्स्य विभाग की ओर से प्राधिकरण कर्मियों के साथ मिलकर तल्लीताल फांसी गधेरा, तल्लीताल बोट स्टैंड, मल्लीताल क्षेत्र से झील में एक हजार सिल्वर कार्प व पांच हजार गोल्डन महाशीर मछली के बीज डाले गए। यह बीज नैनीझील की जलीय पारिस्थितिकी में सुधार लाने के लिए सहायक सिद्ध होगी।
इस दौरान डॉ आशुतोष मिश्रा ने बताया कि 2007 में नैनीझील की जलीय पारिस्थिकी का स्तर गिरने से भारी संख्या में मछलियां मरने लगी थी जो एक बेहद गंभीर विषय बन गया था।
वहीं एरिएशन के बाद झील की पारिस्थितिकी में सुधार लाने के लिए विभिन्न प्रजातियों की मछलियां डाली गई थी,लेकिन कुछ समय बाद झील में कॉमन कार्प मछलियों की संख्या बढ़ने लगी। जिसे कंट्रोल करने के लिए कॉमन कार्प, बिग हेड प्रजाति की मछलियाें को निकालने के साथ ही नई प्रजातियों को झील में छोड़ा जा रहा है, ताकि झील का पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत रहे।
जिसके तहत पहले चरण में एक हजार सिल्वर कार्प व पांच हजार गोल्डन महाशीर मछली झील में छोड़ी गई है। झील में छोड़ी गई सिल्वर कार्प झील की काई व खरपतवार को कम करेंगी, जबकि गोल्डन महाशीर जीवित न जीवों को खाकर झील को साफ बनाये रखने में मदद करेगी।
इस दौरान डॉ एम दास, हरीश थापा, डीडीए अवर अभियंता हेम उपाध्याय समेत अन्य लोग मौजूद रहे।