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“भारतीय ज्ञान परम्परा का बौद्धिक परिप्रेक्ष्य और सन्दर्भ: एक ऐतिहासिक दृष्टि ” विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी ।

रिपोर्टर बलवंत सिंह रावत 

अल्मोड़ा। राजकीय महाविद्यालय तल्ला सल्ट, अल्मोड़ा में फैकल्टी रिस्किलिंग कमेटी के तत्त्वावधान में भारतीय ज्ञान परम्परा और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 व्याख्यान माला के अन्तर्गत “भारतीय ज्ञान परम्परा का बौद्धिक परिप्रेक्ष्य और सन्दर्भ : एक ऐतिहासिक दृष्टि” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया।

व्याख्यानमाला का यह प्रथम व्याख्यान पटना विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर (स्व.) श्री विजय कुमार ठाकुर को समर्पित था, जो नगरीय इतिहास के साथ- साथ इतिहास दर्शन के प्रेरणा स्रोत हैं।

कार्यक्रम का संचालन डॉ० चन्द्रा गोस्वामी (विभाग प्रभारी- समाजशास्त्र) द्वारा किया गया, कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर विश्वमोहन पाण्डेय ने की ।

कार्यक्रम के मुख्यवक्ता प्रोफेसर संजय कुमार, प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय, सतपुली, पौड़ी गढ़वाल ने भारतीय ज्ञान परम्परा की धारा, भारतीय गुरुकुल परम्परा तथा वेदों, उपनिषदों व श्रीमद्भगवद्गीता आदि शास्त्रों में निहित ज्ञान परम्परा का विस्तार पूर्वक व्याख्यान दिया ।

भारतीय ज्ञान वाङ्गमय की चर्चा करते हुए बौध, जैन परम्पराओं तथा मध्यकाल एवं आधुनिक काल में इनकी स्थिति पर प्रकाश डाला, प्राचीन शिक्षण केन्द्रों एवं संस्थाओं की व्याख्या कर एक श्रृंखला बद्ध विकास को इंगित किया गया।

कार्यक्रम के विशिष्टा तिथि प्रोफेसर अधीर कुमार श्रीदेव सुमन उत्तराखण्ड, विश्वविद्यालय परिसर, ऋषिकेश ने प्राचीनतम संस्कृत भाषा के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए प्रस्थान त्रयी के माध्यम से ज्ञान परम्परा का विस्तृत वर्णन किया।

महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर विश्वमोहन पाण्डेय द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित सभी वक्ताओं व श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया गया।

उक्त कार्यक्रम में महा‌विद्यालय के समस्त प्राध्यापकवृन्द, शिक्षणेतर कर्मचारीगण व समस्त छात्र-छात्राओं सहित प्रदेश से इतर प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया तथा तकनीकि कार्यों का सम्पादन श्री तारा सिंह दानू द्वारा किया गया ।

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