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भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात के बाद बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार ने हिंदुओं पर हमला करने वालों पर कार्रवाई शुरू कर दी है।

सोमवार (9 दिसंबर, 2024) को विक्रम मिस्री बांग्लादेश के दौरे पर गए थे, जहां उन्होंने मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और विदेश सचिव मोहम्मद जसीमुद्दीन के सामने अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर भारत की चिंता जाहिर की।

इसके एक दिन बाद ही हमलों को लेकर दर्ज 88 केस में 70 लोगों की गिरफ्तारी की गई है।

द डेली स्टार के अनुसार मोहम्मद यूनुस के प्रेस सेक्रेटरी शफीकुल आलम ने बताया कि यह कार्रवाई 5 अगस्त से 22 अक्टूबर के बीच हुई हिंसक घटनाओं को लेकर की गई है. उन्होंने यह भी कहा कि 22 अक्टूबर के बाद के जो मामले हैं उन्हें लेकर भी जल्दी ही जानकारी दी जाएगी. शफीकुल आलम ने कहा कि बांग्लादेश में ऐसी हिंसा और जघन्य कृत्य करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा, सबको सजा मिलेगी।

जब शफीकुल आलम से पूछा गया कि क्या हिरासत में लिए गए लोगों में राजनीतिक दलों से जुड़े लोग भी शामिल हैं तो उन्होंने कहा, ‘किसी को भी राजनीतिक पहचान पर गिरफ्तार नहीं किया गया है. जिस पर भी शक था या आरोप लगे थे, उन्हें गिरफ्तार किया गया है।

हालांकि, अल्पसंख्यकों पर हमले को लेकर 88 केस दर्ज किए गए हैं और पता चला कि ज्यादातर मामले वो थे जिनमें पिछली सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्यों को हिंसा का सामना करना पड़ा. ऐसे में इसका पता कैसे चलेगा कि उन्हें अपने धर्म की वजह से हिंसा का सामना करना पड़ा या पिछली सरकार के कार्यकर्ता होने के कारण उनके खिलाफ हिंसा हुई।’

हिंदू-बुद्धिस्ट-क्रिश्चन ओकिया परिषद ने बताया कि बांग्लादेश में 4 अगस्त से 20 अगस्त के बीच अल्पसंख्यकों पर 2,010 हमले हुए. परिषद के इन आंकड़ों पर शफीकुल आलम ने स्वीडन के नेत्रा न्यूज का हवाला देते हुए कहा कि ये रिपोर्ट कहती है कि बांग्लादेश में हुआ हर हमला राजनीतिक या व्यक्तिगत कारण से हुआ, किसी को भी इसलिए हिंसा का शिकार नहीं बनाया गया क्योंकि वह अल्पसंख्यक समुदाय से हैं।

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