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उत्तराखंड में अब आम आदमी का घर का सपना जल्द पूरा होगा। धामी सरकार ने उत्तराखंड आवास नीति नियमावली-2024 को मंजूरी दी है। जिसमेंईडब्ल्यूएस आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए तय किए गए तीन लाख रुपए सालाना इनकम के मानक को बढ़ाकर पांच लाख रुपए सालाना इनकम कर दिया गया है।

साथ ही आवास खरीदने वाले व्यक्ति को स्टेट सब्सिडी के रूप में दो लाख रुपए दी जाएगीं जबकि पहले डेढ़ लाख रुपए का प्रावधान था। भारत सरकार के अनुसार जिनकी वार्षिक इनकम तीन लाख रुपए है, वो EWS यानी इकोनामी वीकर सेक्शन में आते हैं। लेकिन अब उत्तराखंड सरकार ने इकोनामी वीकर सेक्शन के दायरे को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया है।

इस आवास नीति में एलआईजी और एलएमआईजी को भी तमाम रियायतें दी गई है। आवास नीति में अलग-अलग कैटेगरी के लिए अलग-अलग डेफिनेशन तैयार किए गए हैं, जिसके तहत 100 फीसदी इकोनामी वीकर, 15 फीसदी ईडब्ल्यूएस, 15 फीसदी ईडब्ल्यूएस के साथ-साथ 35 फीसदी एलआईजी और एलएमआईजी प्रोजेक्ट को लॉन्च किया जाएगा।

नई आवास नीति के तहत ईडब्ल्यूएस मकान की सेलिंग प्राइस 9 लाख रुपए, एलआईजी मकान की सेलिंग प्राइस 14 लाख रुपए, एलएमआईजी मकान की सेलिंग प्राइस 25 लाख होगा. इसके साथ ही प्रोजेक्ट के साइज के अनुसार कुछ अन्य रियायत भी दिए जाएंगे, जिसके लिए आवास सचिव के अध्यक्षता में स्क्रीनिंग कमेटी भी गठित की जाएगी। जिसमें निर्णय लिया जाएगा की कौन इस योजना के लिए क्वालीफाई होता है।

नई आवास नीति में क्या:-

  • नीति में निम्न आय वर्ग (एलआईजी) और निम्न मध्यम आय वर्ग (एलएमआईजी) के लिए भी सरकार ने सस्ते आवास बनाने का निर्णय लिया है।
  • एलआईजी के लाभार्थी के लिए वार्षिक आय पांच से नौ लाख रुपये और एलएमआईजी के लिए वार्षिक आय नौ से 12 लाख रुपये होनी चाहिए।
  • ईडब्ल्यूएस लाभार्थियों के आवास का दाम नौ लाख रुपये, एलआईजी के लिए दाम 15 लाख और एलएमआईजी वर्ग के लिए दाम 24 लाख रुपये होंगे।
  • ईडब्ल्यूएस आवास की बुकिंग 1000 रुपये, एलआईजी की बुकिंग 2000 रुपये और एलएमआईजी की बुकिंग 5000 रुपये में की जा सकेगी।
  • पर्वतीय क्षेत्रों में 350 करोड़ और मैदानी क्षेत्रों में 700 करोड़ से अधिक निवेश वाली परियोजनाओं के लिए सरकार अलग से पैकेज लाएगी।
  • आवास योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी भी डेढ़ लाख से बढ़ाकर दो लाख करने पर मुहर लगाई।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में आवासीय योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए पहली बार आवास नीति में बाखली शैली के आवास बनाने वालों को छूट का प्रावधान किया गया है।
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