हल्द्वानी में रेलवे अतिक्रमण मामले को लेकर भारी पुलिस बल तैनात, पैरामिलिट्री फोर्सेज भी तैयारी की हालत में
अत्याधुनिक हथियारों से लैस LMG पोस्ट सेटअप कर दिए गए है।
SC न्यायालय के निर्णय पर कटाक्ष, अनर्गल बयानबाजी या प्रतिक्रिया करने वालों पर कठोर कार्यवाही की जाएगी।
हल्द्वानी। बनभूलपुरा में रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई होने वाली है।
माना जा रहा है कि इस मामले में आज ही फैसला सुनाया जा सकता है।
इसी कारण पूरे इलाके में सुरक्षा के बेहद कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
बनभूलपुरा में करीब दो साल पहले यहां अवैध धार्मिक ढांचे पर कार्रवाई के दौरान दंगा भड़क गया था. इस कारण पुलिस प्रशासन इस बार अलर्ट मोड में है।
बनभूलपुरा में 45 एसआई, 400 कांस्टेबल और पीएसी की तीन कंपनियां तैनात की गई हैं. तीन एएसपी, चार सीओ, 12 इंस्पेक्टर इलाके की पूरी निगरानी कर रहे हैं।
पुलिस सोशल मीडिया पर भी सख़्ती से निगरानी कर रही है और अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की चेतावनी दी है. प्रशासन ने स्थानीय लोगों से शांति और सहयोग बनाए रखने की अपील की है।
दो साल पहले बनभूलपुरा में भड़क उठी थी हिंसा
बनभूलपुरा में करीब दो साल पहले यहां अवैध धार्मिक ढांचे पर कार्रवाई के दौरान दंगा भड़क गया था. भीड़ ने शहर के कई हिस्सों में आगजनी की थी, पुलिस थाने को भी निशाना बनाया गया और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी और स्थानीय लोग घायल हुए थे. इस हिंसा में 6 लोगों की जान भी चली गई थी।
यह विवाद 2022 में शुरू हुआ, जब रेलवे की भूमि पर कथित अवैध अतिक्रमण को लेकर नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. 2023 में हाईकोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया, जिसके बाद रेलवे और जिला प्रशासन ने कार्रवाई की कोशिश की।
हालांकि स्थानीय निवासियों ने इसका विरोध किया और मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. शीर्ष अदालत ने तब बेदखली पर रोक लगाकर विस्तृत सुनवाई शुरू कर दी थी।
यह मामला पिछले कई महीनों से लंबित है. पहले अनुमान लगाए जा रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट 2 दिसंबर को फैसला सुना सकता है, लेकिन सुनवाई 10 दिसंबर तक टाल दी गई थी. अब एक बार फिर पूरी सरकारी मशीनरी हाई-अलर्ट पर है।
हजारों लोगों का भविष्य दांव पर
इस विवाद में लगभग 30 हेक्टेयर रेलवे भूमि शामिल है, जिस पर करीब 4,000 परिवार और 30,000 से अधिक लोग बसे हुए हैं. यदि सुप्रीम कोर्ट अतिक्रमण हटाने का आदेश देता है, तो बड़ी संख्या में लोग बेघर होने की कगार पर पहुंच सकते हैं।
आने वाला फैसला न केवल रेलवे प्रशासन के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि उन हजारों परिवारों के लिए भी निर्णायक साबित होगा, जिनकी रोजमर्रा की जिंदगी इसी भूमि पर आधारित है।

