हाईकोर्ट ने दुग्धसंघ की आपत्ति को किया खारिज , साक्ष्य के लिए दिया दो हफ्ते का समय
नैनीताल। दुग्ध संघ नैनीताल में मिलावटी दूध खरीद और दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश बोरा की अनर्हता के बावजूद उनके नियम विरुद्ध अध्यक्ष बनने के प्रकरण में नरेंद्र कार्की द्वारा दायर जनहित याचिका में कोर्ट ने दुग्धसंघ के विरुद्ध दुग्ध उत्पादकों की ओर पक्ष रखने के लिए कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश।
चोरगलिया निवासी भुवन पोखरिया को पक्षकार बनाने के आदेश दिए हैं। भुवन पोखरिया ने इस मामले में हस्तक्षेप प्रार्थनापत्र दायर कर बताया कि नैनीताल दुग्धसंघ द्वारा बदायूं की डेयरी से लगातार अधोमानक दूध की खरीद की गई जो कि लैब की जाँच में बार बार फेल होता रहा लेकिन फिर भी मेलामाइन मिले दूध की खरीद की गई।
साथ ही विभागीय जांच में उजागर हुआ था कि दुग्ध संघ अध्यक्ष ने जिस दूध की भुगतान की राशि के आधार पर सदस्यता ली थी, वह भुगतान किसी दीपा देवी के खाते में होता है इस तरह वह दुग्ध उत्पादक थे ही नहीं।
बैंक के डिफाल्टर होने व चैक बाउंस के केस में आरोपी होने के चलते भी वह संघ का सदस्य बनने की अर्हता नहीं रखते थे। हस्तक्षेपकर्ता ने यह भी आरोप लगाया कि नैनीताल दुग्धसंघ अध्यक्ष वित्तीय अनियमितता, उपभोक्ताओं के शोषण, भर्तियों में भ्रष्टाचार, सामान की खरीद फरोख्त में भ्रष्टाचार में सम्मिलित हैं।
चेयरमैन को मासिक डीजल भत्ता डेढ़ हजार किमी के लिए मिलता है, मगर वह मासिक तीन-चार हजार किलोमीटर का डीजल वाहन भत्ता ले रहे हैं। याचिकाकर्ता व हस्तक्षेपकर्ता पोखरिया के अनुसार, चेयरमैन किसी भी तरह से अर्हता नहीं रखते। रसूख के बल पर उनकी जांच रिपोर्ट दबा दी गई।
याचिकाकर्ता द्वारा पोखरिया के प्रार्थनापत्र का समर्थन किया गया इस पर हाईकोर्ट की खंडपीठ ने दुग्धसंघ की आपत्ति को अस्वीकार करते हुए हस्तक्षेप याचिका स्वीकार कर भुवन पोखरिया को दुग्धसंघ के भ्रष्टाचार के संबधित अन्य साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।