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उत्तराखंड के सभी स्कूलों में पढ़ाई और छुट्टियों के टाइम टेबल को एक समान किया जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों के अनुसार, शिक्षा विभाग ने स्कूलों के टाइम टेबल का नया खाका तैयार किया है।

इसमें राज्य के दुर्गम भौगोलिक हालात के मद्देनजर गर्मी के अवकाश की अवधि को कम करते हुए विशेष अवकाश का प्रावधान भी किया गया है।

नए टाइम टेबल को अंतिम रूप देने से पहले सभी स्कूलों के प्रधानाचार्य, शिक्षकों के साथ ही अभिभावक और छात्रों से भी सुझाव लिए जा रहे हैं। शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने इस संबंध में सभी सीईओ को एक हफ्ते के भीतर सुझाव एकत्र कर सीमेट को मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। सुझावों के आधार पर संशोधन भी किए जा सकते हैं।

पौने नौ बजे खुलेगा स्कूल, सवा 3 बजे होगी छुट्टी

प्रदेश में पूरे वर्ष स्कूल खुलने का एक समान समय होगा। सुबह 8.45 पर बजे स्कूल खुलेंगे और छुट्टी दोपहर 3.15 बजे होगी। वर्तमान में गर्मियों में एक अप्रैल से सुबह 7.45 बजे से स्कूल खुलते हैं और अवकाश दोपहर एक बजे होता है, जबकि सर्दियों में एक अक्टूबर से सुबह 9.15 बजे स्कूल खुलता है और छुट्टी 3.30 बजे होती है। नए टाइम टेबल में गर्मियों में स्कूल अवधि एक घंटा बढ़कर सवा छह घंटे की हो जाएगी, जबकि सर्दियों में यह पंद्रह मिनट बढ़ेगी।

वर्तमान में मैदानी और सामान्य पर्वतीय जिलों में 27 मई से 30 जून 34 दिन तक गर्मियों और एक से 13 जनवरी तक सर्दियों का अवकाश होता है। उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में पहला अवकाश 20 से 30 जून और दूसरा अवकाश 26 दिसंबर से 31 जनवरी तक रहता है।

इसे बदल कर गर्मियों का अवकाश 20 दिन, सर्दियों का अवकाश 16 दिन करते हुए 12 दिन का विशेष परिस्थितिजन्य अवकाश रखने का प्रस्ताव है।

इस 12 दिन के अवकाश का उपयोग मॉनसून, बर्फबारी, अत्यधिक गर्मी, कांवड मेला, आपदा आदि के दिन में उपयोग किया जाएगा। स्कूल प्रधानाचार्य इसे घोषित कर सकेंगे। परिस्थितिजन्य अवकाश में आने पर शिक्षकों को 8 दिन की ईएल मिलेगी।

प्रधानाचार्य के विवेक आधारित अवकाश और प्रतिकूल मौसम-हालात में डीएम द्वारा घोषित होने वाले अवकाश यथावत रहेंगे। इनमें कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

शिक्षा महानिदेशक झरना कमठान ने कहा, ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूल अवधि में कुछ बदलाव किए जाने हैं। सभी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद एक प्रारंभिक टाइम टेबल बनाया गया है। इस पर सभी पक्षों से सुझाव लिया जा रहा है। अच्छे सुझावों के अनुसार संशोधन भी किए जा सकते हैं।”

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