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4 हजार में खरीद कर 2 लाख में बेचते दिल्ली में बन रहा था कैंसर का नकली इंजेक्शन, अस्पताल वाले भी शामिल

बेहतर इलाज के लिए देशभर से लोग दिल्ली जाते हैं। लेकिन वही दिल्ली अक्सर नकली दवाओं को लेकर भी सुर्खियों में रहती है। लेकिन इस बार का मामला दंग कर देने वाला है।

दरअसल, दिल्ली- एनसीआर में एक रैकेट चल रहा था जो कैंसर की इलाज के लिए नकली इंजेक्शन बनाकर बेचता था।

हैरानी की बात तो यह है कि इस रैकेट में हॉस्पिट .ल में काम करने वाले लोग भी शामिल हैं। रैकेट चलाने वाले विदेशी नागरिकों को भी अपना शिकार बनाते थे। आइए डिटेल में समझते हैं इस रैकेट का पूरा खेल।

क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। हमें इनपुट मिला कि मार्केट में कैंसर की नकली दवाएं बिक रही हैं। ये दवाएं लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं। डीसीपी अमित गोयल की टीम ने इस इनपुट पर काम किया। पूरे नेक्सस का पता लगाया गया।’

हॉस्पिटल के लोग भी शामिल
स्पेशल सीपी क्राइम ने बताया, ‘इस रैकेट में दो लड़के ऐसे हैं जो एक हॉस्पिटल में काम करते हैं। दरअसल, इन लड़कों की जिम्मेदारी अस्पताल में जो कैंसर की दवाएं (इंजेक्शन) इस्तेमाल हो चुकी हैं उनकी शीशियों को नष्ट करना है। लेकिन ये लड़के उन शीशियों को नष्ट करने के बजाए 4-5 हजार रुपए में बेच देते थे।’

फ्लैट में बनाई फैक्ट्री
अधिकारी ने बताया, ‘शीशियों को खरीदने वाले लोग भी मेडिकल लाइन के ही हैं। उनको यह आइडिया आया कि इस तरह बहुत पैसा कमाया जा सकता है क्योंकि एक इंजेक्शन करीब दो लाख रुपए का मिलता है। इन लोगों ने मोतीनगर में दो फ्लैट ले रखे थे। वहां फैक्ट्री बनाकर कैंसर की नकली दवाएं बनाई जा रही थीं। इंजेक्शन की शीशियों में ये लोग सस्ती दवाएं भर देते थे।’

विदेशियों को भी बनाया शिकार
स्पेशल सीपी क्राइम ने आगे बताया, ‘ये दवाएं मरीजों के लिए जानलेवा हो सकती हैं। इस रैकेट में एक ऐसा आदमी भी शामिल था जो मेडिकल टूरिज्म की कंपनी चलाता है। वह विदेशियों को कैंसर का सस्ता इलाज कराने के नाम पर लेकर आता था। उन लोगों को भी वह नकली दवाएं बेच दिया करता था। इनपुट यह भी मिला है कि बिहार तक यह नेक्सस फैला हुआ है। वहां हमारी टीम पहुंच गई है।’

क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये लोग कहां-कहां कैंसर की नकली दवाएं बेचते थे इसका अभी खुलासा नहीं हो सका है। लेकिन दिल्ली में ही इन लोगों ने फैक्ट्री लगा रखी थी। मेडिकल टूरिज्म के नाम पर ये लोग विदेशियों को भी शिकार बना रहे थे। बिहार तक इनके रैकेट के फैले होने की भी इनपुट है।

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