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भीमताल/ ओखलकांडा। आजादी मिले 75 वर्ष से ज्यादा समय हो गया है । पर क्षेत्र वासियों को आज भी बहुत ही कठिन परिस्तियों मे जीना पड़ रहा । मोटर मार्ग के अभाव में कई मरीज रास्ते में ही असमय काल के गाल में समा जाते हैं ‘ कई किलोमीटर पैदल डोली में मरीजों को ले जाना पड़ता है।

 जनता वोट लेने तक ही याद रहती है । अब क्षेत्र की जनता का जनप्रतिनिध्यों से मन खिन्न हो गया है । इसीलिए क्षेत्र वासियों ने हर तरह के चुनावों का बहिष्कार करने का मन बना लिया है।

रोड नहीं तो वोट नहीं ‘पश्याँ ,काडा, कैड़ाईजर ,बौलना बिनवाल गांव, तोला, सीम गौलाडाडा, कलिया धूरा ,सुकौवा ,कुनरा ,धमौरी अघोड़ा आदि गाव प्रभावित हैं। लोक सभा विधान सभा एवं पंचायत सभी चुनावो का बहिष्कार किया जायेगा ।

उत्तराखंड राज्य को बने आज भले ही 24 साल बीत गए हो लेकिन आज भी राज्य के कुछ क्षेत्र ऐसे है जो समाज की मुख्यधारा से अलग है और उसकी वजह से उस क्षेत्र का विकास नहीं हुआ।

राज्य में कई सरकारें आई और गई लेकिन गांवो की स्थिति जस की तस बनी हुई है। ऐसा ही एक गांव ओखलकांडा ब्लॉक का ग्रामसभा पसया का कैडाईजर तोक व उससे लगता हुआ जनपद चंपावत के बिनवाल गांव,बौलना, तोला गौला डांडा गांव जो आजादी के 75 सालो से ग्रामीण सड़क की राह देख रहे है।

लेकिन वह अब तक पूरी नहीं हों पाई है। शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में अधिकतर लोग गांव से पलायन कर चुके हैं कुछ लोग हैं अभी अगर शीघ्र सड़क नहीं पहुंची तो शायद यह गांव भी विरान हो जाएंगे।

 ग्राम सभा की पसया की प्रधान गीता देवी ने बताया की पश्या ग्राम का तोक कैडाईजर ओखलकांडा ब्लॉक का  ग्राम सभा का अंतिम तोक है वह जनपद चंपावत से भी जुड़ा हुआ है पशया ग्राम सभा की आखिरी छोर से चंपावत जनपद शुरू होता है ।

वहां के दर्जनों गांव के ग्रामीणों को कई किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल आना पड़ता है। कई किमी पैदल चलकर स्कूल व अस्पताल जाना पड़ता है।

कई बार विधायक व अधिकारियों को अवगत कराने के बावजूद भी किसी भी अधिकारी व जनप्रतिनिधि इस क्षेत्र का विकास करना उचित नहीं समझा।

जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों के कोरे आश्वासनों से परेशान होकर इस बार ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव के साथ सभी चुनावों का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।

लिहाजा ग्रामीणों ने परेशान होकर सभी चुनावों के बहिष्कार का निर्णय लेते हुए एक सुर में कहा की रोड नही तो वोट नहीं।

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