उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव लटकने की फिर संभावना नजर आ रही है। विधानसभा में नगर निगम संशोधन विधेयक प्रवर समिति को भेजने के फैसले से जल्द चुनाव की संभावनाएं कमजोर पड़ती दिख रही हैं।
प्रवर समिति की रिपोर्ट सदन के पटल पर रखने और विधेयक के मंजूर होने के बाद ही चुनाव का रास्ता खुलेगा। उत्तराखंड में नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो गया था, तब से निकायों में प्रशासक तैनात हैं।
जून में प्रशासकों का कार्यकाल छह माह के लिए बढ़ाया जा चुका है। दूसरी ओर हाईकोर्ट का सरकार पर जल्द से जल्द चुनाव कराने का दबाव है। दो दिन पहले ही हाईकोर्ट में हुई सुनवाई में शहरी विकास विभाग की ओर से 25 अक्तूबर तक हर हाल में चुनाव प्रक्रिया पूरी कराने का दावा किया गया था।
इन दावों के बीच शुक्रवार को गैरसैंण में विधानसभा में विधेयक प्रवर समिति को भेजे जाने के फैसले के बाद पूरे मामले में एक नया मोड़ आ गया है। विधेयक प्रवर समिति को भेजने के बाद अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है।
ऐसे में पांच सितंबर को हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई बेहद अहम हो गई है। इसमें हाईकोर्ट की ओर से क्या रुख अख्तियार किया जाता है, इस पर सभी की नजर है। क्योंकि विधेयक प्रवर समिति को भेजने के बाद शहरी विकास विभाग के भी हाथ पूरी तरह बंध गए हैं।
प्रवर समिति की रिपोर्ट आने और विधानसभा से विधेयक पारित होने तक, शहरी विकास विभाग अब अपने स्तर पर निकाय चुनाव की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का कोई फैसला नहीं ले सकता।
इसके अलावा सरकार हाल ही में कैबिनेट बैठक में अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ को नगर निगम बनाने का फैसला ले चुकी है, हालांकि इसका भी जीओ जारी होना बाकी है।
प्रवर समिति को अपनी रिपोर्ट एक महीने में देनी है। इस रिपोर्ट को विधानसभा के पटल पर रखने और विधानसभा से विधेयक पारित कराने को विशेष सत्र बुलाना होगा।
क्योंकि मानसून सत्र के बाद अब शीतकालीन सत्र नवंबर-दिसंबर से पहले नहीं होने वाला है। यदि विधेयक पारित कराने को शीतकालीन सत्र तक का इंतजार किया जाएगा तो निकाय चुनाव अगले साल तक टलने तय हैं।
उत्तराखंड में
नगर निगम 09
नगर पालिका 43
नगर पंचायत 50