कोर्ट ने पिता के अपने बच्चे के भरण-पोषण और देखभाल के दायित्व पर बल दिया। कहा कि पिता अपने वयस्क बेटे के भरण-पोषण और वित्तीय सुरक्षा के लिए 1 करोड़ रुपए का प्रावधान करें। मामला प्रवीन कुमार जैन और उनकी पत्नी अंजू जैन के तलाक का है।
प्रवीन कुमार जैन और अंजू जैन विवाह के बाद 6 साल साथ रहे थे। इसके बाद करीब 20 साल से अलग-अलग रहे हैं। प्रवीन ने आरोप लगाया था कि अंजू अतिसंवेदनशील थी।
वह उनके परिवार के साथ उदासीनता से पेश आती थी। दूसरी ओर अंजू ने आरोप लगाया था कि प्रवीन का व्यवहार उसके प्रति अच्छा नहीं था।
कोर्ट ने माना- पूरी तरह से टूट चुका है विवाह
पति-पत्नी लंबे समय से अलग रह रहे थे। उनके पास वैवाहिक दायित्वों को निभाने का कोई अवसर नहीं था। इसे देखते हुए कोर्ट ने माना कि विवाह ‘पूरी तरह से टूट चुका है’।
हिंदू विवाह अधिनियम के तहत अधिकार क्षेत्र या अंतरिम भरण-पोषण से संबंधित मुद्दे थे। कोर्ट ने पाया कि पत्नी को स्थायी गुजारा भत्ता दिया जाना चाहिए।
5 करोड़ रुपए के स्थायी गुजारा भत्ते पर फैसला करने से पहले कोर्ट ने रजनेश बनाम नेहा (2021) और किरण ज्योत मैनी बनाम अनीश प्रमोद पटेल (2024) के मामलों का जिक्र किया।
सुप्रीम कोर्ट ने नीचे बताए गए कारकों को ध्यान में रखा, जिनपर स्थायी गुजारा भत्ता राशि तय करते समय महत्व देना जरूरी था।