छात्र संघ चुनाव को लेकर उपजे विवाद के लिए सरकारी विश्वविद्यालयों के बाद अशासकीय कॉलेजों ने भी परोक्ष रूप से उच्च शिक्षा विभाग को जिम्मेदार ठहरा दिया। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत के निर्देश पर प्रदेश के जिन 11 अशासकीय कालेजों को छात्र संघ चुनाव न कराने पर जवाब तलब किया गया था, उन्होंने अपना जवाब सरकार को सौंप दिया है।
सूत्रों के अनुसार कॉलेजों ने कहा कि, पिछले साल भी सरकार ने ही छात्र संघ चुनाव की तारीख घोषित की थी, लिहाजा इस साल भी कालेज प्रबंधन सरकार के फैसले का इंतजार करते रहे। साथ ही कॉलेजों में एडमिशन की प्रक्रिया का लगातार जारी रहना भी इस गफलत का सबसे कड़ा कारण रहा है।
उच्च शिक्षा विभाग सूत्रों के अनुसार 11 में से देहरादून के दयानंद महिला प्रशिक्षण कालेज और हरिद्वार के महिला कालेज ने अक्टूबर में चुनाव करा लिए थे। लेकिन बाकी कालेज चुनाव नहीं करा पाए। मालूम हो कि इस साल छात्रसंघ चुनाव नहीं हो पाए हैं।
सरकार का कहना है कि अशासकीय कॉलेज एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं। वहां तीस सिंतबर से पहले तीन परिसरों में चुनाव हो गए थे। तो उससे संबद्ध कॉलेजों ने चुनाव क्यों नहीं कराए?
शिक्षा मंत्री के निर्देश पर केंद्रीय विवि से संबद्ध 11 कॉलेज को नोटिस देकर जवाब मांगा गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 11 में से नौ कालेज का जवाब प्राप्त हो गया है। एमपीजी कॉलेज मसूरी के प्राचार्य डा अनिल चौहान ने बताया कि पहले जैसे ही निदेशालय से निर्देश जारी होते थे वैसे ही चुनाव कर दिए जाते थे।
इस बार कोई आदेश जारी नहीं हुए। चिन्मय डिग्री कालेज, हरिद्वार के प्राचार्य डॉ. आलोक कुमार का कहना है कि 21 अक्तूबर तक कालेज में एडमिशन की प्रक्रिया जारी रही। शासन से चुनाव के संबंध में कोई दिशा-निर्देश प्राप्त न होने की वजह से कॉलेज में छात्र संघ चुनाव नहीं हो पाया।
सरकारी विवि भी ठहरा चुके उच्च शिक्षा विभाग को दोषी
चुनाव में देरी के लिए सरकार और विश्वविद्यालय लगातार एक दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत शुरू से कह रहे हैं कि इस साल अप्रैल में जारी शैक्षिक कैलेंडर में पूरा कार्यक्रम तय कर दिया था।
इसलिए तीस सिंतबर तक छात्र संघ चुनाव कराना सरकार की नहीं बल्कि विश्वविद्यालयों की जिम्मेदारी था।
छात्र संघ चुनाव का मुददा तूल पकड़ने पर पिछले महीने कुमायूं विवि, सोबन सिंह जीना विवि, श्री देव सुमन विवि,दून विवि के कुलसचिवों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा था।
चारों कालेज सरकार को जवाब सौंप चुके हैं। सूत्रों के अनुसार उन्होंने भी शासन स्तर से तारीख तय न होने को वजह बताया है।