नए साल में उत्तराखंड के राजकीय मेडिकल कॉलेजों में इलाज के लिए आने वाले मरीजों से अब एक समान यूजर चार्ज वसूला जाएगा। ओपीडी, आईपीडी पर्ची बनाने से लेकर बेड और एंबुलेंस का एक समान शुल्क किया गया।
एक समान यूजर चार्ज से मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में कहीं दरें कम हुई है तो कहीं बढ़ोतरी होंगी।
मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में मरीजों का पंजीकरण शुल्क, बेड, एंबुलेंस व अन्य पैथोलॉजी जांच की दरें अलग-अलग हैं। प्रदेश सरकार ने राजकीय चिकित्सालयों की तर्ज पर मेडिकल कॉलेजों के अस्पतालों में यूजर चार्ज की एक समान दरें लागू करने का निर्णय लिया है।
प्रदेश में पांच राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून, श्रीनगर, हरिद्वार, हल्द्वानी व अल्मोड़ा में संचालित हैं। इसके अलावा निर्माणाधीन राजकीय मेडिकल कॉलेज रुद्रपुर व पिथौरागढ़ के संबद्ध चिकित्सालय भी संचालित हैं।
अभी तक हल्द्वानी व श्रीनगर मेडिकल कॉलेज में ओपीडी पर्ची शुल्क पांच रुपये, दून में 17 रुपये व अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज में 28 रुपये है। इसी तरह मरीजों को भर्ती करने के लिए आईपीडी पर्ची शुल्क हल्द्वानी में 25 रुपये, श्रीनगर में पांच रुपये, दून में 89 रुपये व अल्मोड़ा में 134 रुपये है।
नई दरें लागू होने के बाद सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में ओपीडी पर्ची शुल्क 20 रुपये और आईपीडी पर्ची शुल्क 50 रुपये लिया जाएगा। मेडिकल कॉलेजों में जनरल वार्ड में प्रति बेड के 25 रुपये, प्राइवेट वार्ड में 300 रुपये और एसी वार्ड प्रति बेड के एक हजार रुपये शुल्क लिया जाएगा। एंबुलेंस का किराया पांच किमी. तक 200 रुपये होगा। इसके बाद प्रति किमी. 20 रुपये लिया जाएगा।
इसके अलावा राजकीय मेडिकल कॉलेजों के संचालन के लिए मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) बनाई जाएगी। भर्ती मरीजों को प्रतिदिन दिए जाने वाले भोजन संबंधी मेन्यू वार्ड के बाहर चस्पा करना होगा। यह व्यवस्था नए साल से लागू कर दी जाएगी। मरीजों को किसी भी प्रकार के संक्रमण से दूर रखने के लिए प्रत्येक दिन भर्ती मरीजों के बेड की चादर बदलनी होगी।
इसके लिए सप्ताह में सात दिन के लिए चादरों का अलग-अलग रंग निर्धारित किया जाएगा। अस्पताल में भर्ती मरीजों से मिलने का समय निर्धारित किया जाएगा। विशेषकर आईसीयू व जच्चा-बच्चा वार्ड में भर्ती मरीजों से मिलने की इजाजत किसी को नहीं दी जाएगी।
एक मरीज के साथ एक ही तीमारदार वार्ड के अंदर प्रवेश कर सकेगा। मरीजों को दिए जाने वाले भोजन की भी लगातार निगरानी की जाएगी। यह नई व्यवस्था सभी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एक जनवरी 2025 से लागू की जाएगी।