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नई दिल्ली। मौसम विभाग ने सोमवार को बताया कि देश में इस वर्ष अप्रैल से जून की अवधि में अत्याधिक गर्मी पड़ने का अनुमान है और मध्य व पश्चिमी प्रायद्वीपीय हिस्सा इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होगा।

पृथ्वी विज्ञान मंत्री किरण रिजिजू ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘यह हम सभी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होने जा रहा है। चूंकि हम दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश हैं और मौसम की कठिन स्थितियों का सामना करते हैं, इसलिए देश के लिए इसकी अग्रिम तैयारी करने नितांत जरूरी हो जाता है।’

आम लोगों के लिए गर्मी से खतरा बढ़ सकता है

मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि आम चुनाव के दौरान बाहरी गतिविधियों में संभावित बढ़ोतरी से आम लोगों के लिए गर्मी से खतरा बढ़ सकता है। बाहर निकलने की वजह से मतदाताओं और चुनाव कर्मियों के लिए भी अत्याधिक गर्मी से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।

देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान

महापात्र ने कहा कि अप्रैल से जून की अवधि में देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक अधिकतम तापमान रहने का अनुमान है और इसकी सबसे अधिक संभावना मध्य एवं पश्चिमी प्रायद्वीपीय भारत में है। वहीं, पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के कुछ हिस्सों, पूर्वोत्तर राज्यों एवं उत्तरी ओडिशा में अधिकतम तापमान सामान्य और सामान्य से कम रहने का अनुमान है।

लू के दिन सामान्य से अधिक रहने का अनुमान

मौसम विभाग के महानिदेशक ने कहा कि अप्रैल-जून के दौरान मैदानी इलाकों के अधिकांश हिस्सों में लू के दिन सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है। देश के विभिन्न हिस्सों में सामान्य चार से आठ दिनों की तुलना में 10 से 20 दिन लू चलने की आशंका है। उन्होंने कहा कि गुजरात, मध्य महाराष्ट्र, उत्तर कर्नाटक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में अत्याधिक गर्मी का सबसे अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

अल नीनो की स्थिति कमजोर हो रही

महापात्र ने कहा कि अल नीनो की स्थिति (मध्य प्रशांत महासागर में समय समय पर पानी का गर्म होना) कमजोर हो रही है, लेकिन यह अप्रैल व मई के दौरान जारी रहेगी। विभाग ने यह भी कहा कि अप्रैल में देश में सामान्य वर्षा (लंबी अवधि के औसत 39.2 मिमी का 88 से 112 प्रतिशत) होने की सबसे अधिक संभावना है।

गेहूं की फसल पर नहीं पड़ेगा अत्याधिक गर्मी का असर

मौसम विभाग ने कहा कि अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी का गेहूं की फसल पर कोई असर नहीं पड़ेगा। विभाग का कहना है कि गेहूं की कटाई के दौरान उत्तर भारत के कई हिस्सों और पूर्वी व पश्चिमी तटों पर अधिकतम तापमान सामान्य से दो-तीन डिग्री सेल्सियस ऊपर रहने की संभावना है और देश के बाकी हिस्सों में सामान्य के आसपास रहने का अनुमान है।

 

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