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प्राइवेट स्कूल, बुक सेलर्स,यूनिफॉर्म सेलर्स की मनमानी का खामियाजा  दो वक्त की रोटी के लिए संघर्ष करते अभिभावक भुगतने  को मजबूर 

हर साल प्राइवेट स्कूलों की फीस बढ़ोत्तरी,बुक सेलरो व यूनिफॉर्म सेलरों की मनमर्जी पर लगाम लगाने की बातें केवल मीडिया में बयानबाज़ी तक

अभिभावक बोले सरकारी स्कूलों के हालात ठीक होते तो बच्चों को अवश्य पढ़ाते , सरकारी स्कूलों में बिल्डिंग  गिरने का डर

सरकार दावे तो बहुत  करती है लेकिन जमीनी  हकीकत में अंतर

सरकारी स्कूलों की बिल्डिंग दयनीय स्थिति, कभी भी हो सकते हैं हादसे, इसी भय से नहीं भेजते सरकारी स्कूलों में बच्चे 

हल्द्वानी। हर वर्ष की भांति पेरेंट्स प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस एनुअल फीस के नाम पर मोटी फीस, प्राइवेट बुक सेलरों की मनमानी  दाम, स्कूल यूनिफॉर्मो के महंगे दाम आदि। पेरेंट्स का कहना है कि मूलरेट से  तीन -चार गुना अधिक रेट लिए जा रहे हैं।

कुछ लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर  बताया कि यूनिफॉर्म सेलरो का है स्कूल मालिकों की मिली भगत से हर स्कूल अलग-अलग यूनिफॉर्म  तय  करता है। उसके बदले में यूनिफार्म सेलर स्कूल मालिकों को मोटा कमिश्नर और महंगे गिफ्ट आदि देकर खुश करते हैं।

जिसका खामियाजा प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाले मां-बाप को भुगतना पड़ता है एक और जहां आम आदमी दो वक्त की रोटी के लिए दिन-रात एक करता है वहीं दूसरी तरफ प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस, बुकसेलर के कॉपी -किताबों के महंगे रेट, कपड़ों की क्वालिटी केनाम पर महगी यूनिफॉर्म में ही सारा धन खर्च।

यूनिफॉर्म सेलर्स जो हर दो-तीन साल में नई-नई यूनिफॉर्म लाकर स्कूल मालिकों को महंगे गिफ्ट और मोटा कमीशन आदि देकर अपनी ओर आकर्षित करते हैं और स्कूल मलिक 2-3 साल बाद ड्रेस चेंज कर कर अभिभावकों के ऊपर अतिरिक्त भार डालते हैं।

जिससे मजबूरन अभिभावकों को स्कूल मालिकों की मनमानी फीस, मनमानी एनुअल चार्जेस, बुकसेलर्स और यूनिफॉर्म सेलर्स के तीगुने चौगुने रेटों पर कॉपी किताब  व यूनिफॉर्म खरीदने पर मजबूर करते हैं।

अभिभावकों का कहना है कि प्रशासन और सरकार दो वक्त की रोटी केलिए संघर्ष करते माता-पिता की मुश्किलों को नहीं समझते केवल मीडिया में बयान बाजी तक प्रशासन अपनी बात कह कर पल्ला झाड़ लेता है।

 हल्द्वानी में नए शिक्षण सत्र की शुरुआत होते ही प्राइवेट बुक सेलर्स और स्कूलों की मनमानी के कारनामे सामने आने लगे हैं लगातार प्राइवेट बुक सेलर द्वारा मनमानी कीमतों पर किताबों को महंगे दामों पर बेचने की शिकायत आम हो चुकी हैं।

प्रशासन पूरे मामले को गंभीरता से लेने की बात तो हर बार कहता है पर आखिर में पूरे अभियान की हवा निकल जाती है अब फिर से एक बार यही जिन्न बाहर आ गया है और इस बार भी प्रशासन का यही कहना है कि जनता से मिल रही शिकायतों पर कार्रवाई की जाएगी और हम पूरी तरह से आम आदमी के साथ हैं।

खैर इस पूरे मामले पर सिटी मजिस्ट्रेट एपी वाजपेई ने बताया कि लगातार मिल रही शिकायतों के चलते शिक्षा विभाग और प्रशासन की एक संयुक्त टीम ने सभी बुक सैलर्स के यहां निरीक्षण किया है इसके अलावा एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है।

जिसमें सभी निजी स्कूलों और शिक्षा विभाग के अधिकारी व प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहेंगे। उन्होंने निर्देशित किया है कि बुक सेलर निर्धारित दरों पर ही किताबों बेचें।

इसके साथ ही बुक सेलर किताब ख़रीदने के लिए आने वाले अभिभावक के लिए टोकन व्यवस्था लागू करने, अलग कैश काउंटर, पानी का डिस्पेंसर और बैठने के लिए टेंट की व्यवस्था करना सुनिश्चित करें।

जिससे व्यवस्थाएं सुव्यवस्थित हो सकें। टोकन व्यवस्था चालू करने से अभिभावकों को सहूलियत मिलेगी और उनके समय की बचत भी होगी।

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