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हरिद्वार।  नगर निगम जमीन खरीद घोटाले की तत्कालीन जिलाधिकारी और नगर आयुक्त के खिलाफ जांच पूरी हो गई है।

जांच अधिकारी सचिव नागरिक उड्डयन सचिन कुर्वे ने शासन को रिपोर्ट सौंप दी। सूत्रों के अनुसार कुछ बिंदुओं पर निलंबित आईएएस अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है।

कार्मिक सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि जांच रिपोर्ट पर तत्कालीन डीएम कर्मेंद्र सिंह और नगर आयुक्त वरुण चौधरी के जवाब भी आ गए हैं। उनका अध्ययन किया जा रहा है। कार्रवाई के बाबत जल्द निर्णय लिया जाएगा।

सूत्रों के अनुसार जांच में पाया गया है कि हरिद्वार में ट्रंचिंग ग्राउंड की जमीन के चयन, जमीन को गैर आबादी घोषित करने से लेकर पूरी प्रक्रिया में अफसरों की भूमिका संदिग्ध रही।

उनकी लापरवाही के कारण 54 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ। इस मामले में पीसीएस अफसरों के खिलाफ जांच अभी जारी है।

हरिद्वार जिला प्रशासन और नगर निगम के अफसरों ने सांठगांठ कर ट्रंचिंग ग्रांउड के लिए आठ करोड़ की जमीन को 54 करोड़ में खरीदा। इस मामले में दो आईएएस, एक पीसीएस समेत कुल 12 लोग सस्पेंड हुए थे।

मामले में ट्रंचिंग ग्राउंड के लिए सरकारी जमीन को चयन किया जाना था, लेकिन अफसरों ने कामर्शियल दरों पर जमीन खरीदी।

इसके लिए रातों रात 143 की कार्रवाई कर जमीन का स्वरूप बदल कर उसकी कीमत को बढ़ाया गया।

मामले में जिलाधिकारी समेत 12 लोगों को संस्पेंड किया गया था।

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