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आसमान में जल्द ही उल्का पिंड की बारिश देखने को मिलेगी। दिवाली जैसा नजारा रहेगा आकर्षण का केंद्र 

 आसमान में अगले कुछ दिनों में ‘टूटते तारों’ के कारण दीवाली जैसा नजर आएगा आसमान।

आगामी 13 से 15 दिसंबर को रात 11 से सवेरे 4 बजे तक होगी आकाशीय आतिशबाजी।

रिपोर्टर- गुड्डू सिंह ठठोला 

 नैनीताल।  मनोरा पीक के आर्यभट्ट प्रेक्षण एवं शोध संस्थान(एरीज)की तरफ से बताया गया कि अगली कुछ रातों में किसी भी खुले अंधेरे आसमान से जेमिनीड उल्कापात की आकाशीय आतिशबाजी को देखा जा सकता है।

उल्का देखने के लिए किसी विशेष उपकरण की आवश्यकता नहीं है, इसे कोई भी व्यक्ति सीधे आसमान में देख सकता है। इसे आराम के साथ लेटकर भी देखा जा सकता है।

उल्कापात किसी टूटे तारे को कहते हैं जो आप कभी कभी अपनी नंगी आखों से देखते हैं। हालांकि टूटता तारा केवल एक मिथ्या नाम भर है, क्योंकि उल्काओं का तारे से कोई लेना-देना नहीं होता है।

उल्कापात तब होता है जब एक रात में बहुत सारी उल्काएँ दिखाई देती हैं और पीछे की दिशा में खींचने पर आकाश के एक छोटे से क्षेत्र से उत्पन्न होती प्रतीत होती हैं।

वर्षभर उल्कापात सक्रिय रहते हैं, जो कुछ घंटों से लेकर कुछ हफ्तों तक चलते हैं और इसमें अधिकतम गतिविधि 1-2 रातों में होती है। आगामी जेमिनीड उल्कापात संख्या और चमक दोनों में सबसे शानदार होता है।

उल्कापात आमतौर पर दिसंबर के पहले 3 हफ्तों तक चलता है, जिसमें सर्वाधिक गतिविधि 13 से 15 दिसंबर के बीच होती है। इस वर्ष जेमिनीड उल्कापात विशेष रूप से भव्य होने वाला है क्योंकि सर्वाधिक गतिविधि 14 दिसंबर को दिन के समय और 12 दिसंबर के करीब है।

बताया गया कि एरीज में बुधवार 13 दिसंबर की रात 11:00 बजे से सवेरे 4:00 बजे तक उल्कापात देखने के लिए एक विशेष कार्यक्रम की व्यवस्था की गई है।

एरीज की तरफ से बताया गया कि इस क्यूआर कोड को(https://forms.gle/CGZT7U7HbXw2Dvwf6)स्कैन कर इस फॉर्म को भरें, जिसके बाद इस घटना को ऑनलाइन देखा जा सकता है।

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