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ट्रंप टैरिफ से निपटने के लिए भारत ने बनाया प्‍लान ‘ABC’, जानें किस बात का है डर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत और अन्य देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिसके तहत भारत पर 26% शुल्क लागू किया जाएगा। यह ऐलान व्हाइट हाउस में एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान किया गया, जिसमें ट्रंप ने इस संबंध में एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर साइन किए।

ट्रंप के मुताबिक, यह कदम अमेरिका की अर्थव्यवस्था को “फिर से मजबूत” करने के उद्देश्य से उठाया गया है, ताकि अमेरिकी व्यापारियों और श्रमिकों को फायदा हो सके। रेसिप्रोकल टैरिफ और न्यूनतम बेसलाइन टैरिफ का ऐलान: इसके अलावा, ट्रंप ने 10% न्यूनतम बेसलाइन टैरिफ की भी घोषणा की है, जो उन देशों पर लागू होगा जो अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाते हैं। ट्रंप का कहना है कि यह नीति उन देशों पर दबाव बनाने के लिए है, जो अमेरिकी निर्यात के खिलाफ ऊंचे शुल्क लगाते हैं। उनका आरोप है कि अमेरिका के व्यापारिक साझेदार अपनी नीतियों से अमेरिका को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं, और इसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

ऑटोमोबाइल्स पर भारी टैरिफ: ट्रंप ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की, जिसमें उन्होंने विदेशी निर्मित ऑटोमोबाइल्स पर 25% टैरिफ लगाने का निर्णय लिया। यह शुल्क आधी रात से प्रभावी होगा।

उन्होंने यह भी कहा कि यह कदम अमेरिकी ऑटोमोबाइल उद्योग को बढ़ावा देने और अमेरिकी कार निर्माताओं को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए उठाया जा रहा है। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका में बेची जाने वाली अधिकांश विदेशी कारों पर भारी शुल्क लगाया जाएगा, जिससे घरेलू उद्योग को प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलेगा।

यूरोपीय संघ और एशियाई देशों पर आरोप: ट्रंप ने इस अवसर पर यूरोपीय संघ (EU) और एशियाई देशों पर भी निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि ये देश अमेरिकी कारों पर भारी शुल्क लगाते हैं, जबकि अमेरिका केवल 2.4% टैरिफ लागू करता है। ट्रंप ने उदाहरण देते हुए कहा कि थाईलैंड 60%, भारत 70% और वियतनाम 75% तक शुल्क वसूलता है। ट्रंप ने कहा कि यह असमान व्यापार नीति अमेरिका के लिए न केवल अनुचित है, बल्कि यह अमेरिकी उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने की दिशा में एक बड़ा अवरोध है।

इसके अलावा, ट्रंप ने जापान और दक्षिण कोरिया पर भी हमला बोला, यह कहते हुए कि इन देशों में बेची जाने वाली अधिकांश कारें स्थानीय रूप से निर्मित होती हैं, जबकि अमेरिकी कारों की बिक्री इन देशों में बहुत कम है।

ट्रंप का विदेशी नेताओं को संदेश ट्रंप ने अपने बयान में दुनियाभर के देशों को संदेश दिया कि यदि वे चाहते हैं कि अमेरिका अपने टैरिफ को कम करे, तो उन्हें पहले अपने खुद के टैरिफ घटाने चाहिए।

उन्होंने कहा, “अगर आप चाहते हैं कि हमारे टैरिफ कम हों, तो पहले अपने टैरिफ कम करें। अगर किसी देश को लगता है कि उनका टैरिफ शून्य होना चाहिए, तो उन्हें अपने उत्पाद अमेरिका में ही बनाना चाहिए।” ट्रंप का कहना था कि जब कंपनियां अमेरिका में उत्पादन करने के लिए आएंगी, तो उन्हें कोई टैरिफ नहीं लगेगा।

उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिकी धरती पर पहले कभी न देखी गई संख्या में कंपनियां अपना उत्पादन स्थापित कर रही हैं। टैरिफ के जरिए अमेरिका को सुरक्षा प्रदान करना राष्ट्रपति ट्रंप ने यह भी कहा कि ये टैरिफ अमेरिका को उन देशों से सुरक्षा प्रदान करते हैं, जो जानबूझकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर रहे थे।

उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इन देशों ने शायद सीधे तौर पर नहीं, लेकिन गंभीर आर्थिक नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। उन्होंने यह भी कहा कि इन टैरिफ के परिणामस्वरूप अमेरिका को अभूतपूर्व विकास मिलेगा, जो पहले कभी नहीं देखा गया।

ट्रंप ने इस मौके पर विश्वास जताया कि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा और भविष्य में विकास की एक नई दिशा देगा। किस देश पर क्या टैरिफ लागू होगा?

ट्रंप ने यह भी ऐलान किया कि किस देश से कितना टैरिफ वसूला जाएगा। यह कदम उनके द्वारा दिए गए भाषण के साथ तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। नीचे सूचीबद्ध देशों पर लागू होने वाले टैरिफ दरें हैं।

भारत पर क्या होगा असर?

भारत के लिए ये टैरिफ एक चुनौती बन सकती है, क्योंकि अमेरिका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. ऐसे में भारतीय मंत्रालय इन रुकावटों की जड़ तक पहुंच रहे हैं. उनके मुताबिक अमेरिका ने भारत से जंगली झींगों के निर्यात पर रोक लगा रखी है, क्योंकि यहां के मछुआरे ट्रॉलर जहाज़ों में “टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइस” (TED) का इस्तेमाल नहीं करते. इसके अलावा, अमेरिकी कंपनियों के निजी मानक भी भारत के एक्‍सपोटर्स के लिए मुश्किल खड़ी करते हैं. ऐसे में इन क्षेत्रों पर ध्‍यान दिया जाएगा. ईटी की रिपोर्ट में एक अधिकारी के हवाले से बताया कि अगले दो महीनों में सरकार एक पोर्टल शुरू करने जा रही है, जहां निर्यातक इन बाधाओं को दर्ज कर सकेंगे. इसमें एक हिस्सा आम लोगों के लिए भी खुला होगा. जिन रुकावटों की वजह से बड़ी मात्रा में सामान प्रभावित होगा, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी।

तैयारी में जुटा भारत

अधिकारियों का कहना है कि यूएस टैरिफ की मात्रा और इसे लागू करने का तरीका अभी साफ नहीं है. अमेरिका प्रोडक्ट स्तर पर टैरिफ लगाएगा या सेक्टर स्तर पर, या पूरे देश पर, इस पर अभी हालात साफ नहीं है।

हालांकि मंगलवार को कंसल्टेंसी फर्म PwC का कहना है कि कि अमेरिका टैरिफ को पांच आधारों पर तय कर सकता है, जिनमें अमेरिकी सामानों पर मौजूदा टैरिफ, इंटरनल टैक्‍स, गैर-टैरिफ बाधाएं, विदेशी मुद्रा नीतियां और कोई भी ऐसी व्यापारिक प्रथा जो अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (USTR) को अनुचित लगे शामिल हो सकती है।

ऐसे में भारत इन सभी परिस्थितियों से निपटने के लिए तैयारी कर रहा है. अधिकारी ये पता कर रहे हैं कि इससे कौन से सेक्टर सबसे ज़्यादा प्रभावित होंगे और कैसे इनका जवाब देना है।

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