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आज सुबह 5:30 बजे से द्वार पूजन शुरू हुआ और ठीक 6 बजे कपाट दर्शनार्थ खोल दिए गए. यह पल भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और आध्यात्मिक था, जब वे श्री हरि बद्री विशाल के दर्शन कर सकेंगे. हर साल की तरह, इस बार भी लाखों श्रद्धालु बद्रीनाथ धाम पहुंचने की तैयारी में हैं और प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधाओं के लिए व्यापक इंतजाम किए हैं।

तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए 1 मई को उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ और अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) वी मुरुगेसन ने बद्रीनाथ धाम का दौरा किया।

उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, संचार प्रणालियों और भीड़ नियंत्रण उपायों सहित सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की गहन समीक्षा की. अधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन के साथ विचार-विमर्श किया और तीर्थ मार्ग के प्रमुख बिंदुओं का निरीक्षण कर तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।

उत्तराखंड पुलिस ने तीर्थयात्रा के मौसम में अपेक्षित भारी भीड़ को प्रबंधित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल और तकनीकी सहायता तैनात की है. यात्रा मार्ग पर यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने और श्रद्धालुओं को सहज अनुभव प्रदान करने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए हैं. प्रशासन का लक्ष्य है कि लाखों श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर सकें।

बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु बद्री नारायण के रूप में विराजमान हैं. यहां उनकी एक मीटर ऊंची काले पत्थर की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है, जिसे आदि शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकालकर स्थापित किया था. यह मूर्ति भगवान विष्णु की आठ स्वयं प्रकट प्रतिमाओं में से एक मानी जाती है।

मूर्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान पद्मासन मुद्रा में ध्यानमग्न हैं. उनके दाहिनी ओर कुबेर, लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां भी स्थापित हैं. मंदिर में केवल दीयों की रोशनी दिखाई देती है, जो इस पवित्र स्थल की शांति और आध्यात्मिकता को और बढ़ाती है.

बदरीनाथ के कपाट खुलने पर यहां छह माह से जल रही अखंड ज्योति के दर्शन के लिए देश-विदेश के श्रद्धालु धाम पहुंचे हैं। धाम में 10,000 से अधिक श्रद्धालु पहुंचे हैं।

शनिवार को पांडुकेश्वर के योग ध्यान बदरी मंदिर में विधिवत पूजा-अर्चना और अनुष्ठान के बाद बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) अमरनाथ नंबूदरी, धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल व वेदपाठी ब्राह्मणों के साथ आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, गाडू घड़ा (पवित्र तेल कलश), बदरी विशाल के सखा उद्धव जी व कुबेर जी की उत्सव डोलियों ने बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान किया था। भारतीय सेना के बैंड की भक्तिमय धुन और जय बदरी विशाल के उदघोष के साथ दोपहर एक बजे यात्रा बदरीनाथ धाम पहुंची।

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