हल्द्वानी। राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के विस्तारीकरण और पुनर्निर्माण के लिए अधिगृहित की गई भूमि को भू-उपयोग बदलवाकर करीबियों को लाभ दिलाने, आठ-दस गुना ज्यादा मुआवजा वितरित कर करीब 500 करोड़ की हेराफेरी करने के मामले में पीसीएस दिनेश प्रताप सिंह को कोर्ट से बड़ा झटका लगा है।
अनुशासनिक कार्रवाई में क्लीन चिट मिलने के बाद डीएम यूएसनगर की ओर से कोर्ट को पत्र लिखकर डीपीसिंह के खिलाफ चल रहे वाद को समाप्त करने की बात कही गई थी।
इस पर द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश ने सुनवाई जारी रखने के आदेश दिए हैं। परियोजना निदेशक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण नजीबाबाद की ओर से साल 2017 में तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ऊधमसिंह नगर व नैनीताल कार्यालय में 363 करोड़ रुपये जमा कराए गए थे।
आरोप है कि तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी पीसीएस दिनेश प्रताप सिंह ने 207 करोड़ रुपये अकृषकों को बतौर भूमि अधिग्रहण मुआवजा बांट दिए। इसके बाद रुद्रपुर कार्यालय से भी 210 करोड़ राशि इसी तरह वितरित कर दी गई। वहीं फर्जी दस्तावेज तैयार कर षडयंत्र के तहत बैकडेट में लाभार्थियों का भूमि-उपयोग बदलवाया गया।
वर्तमान में मामला द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश नीलम रात्रा की कोर्ट में चल रहा है। इधर, अनुशासनिक जांच में विभाग दिनेश प्रताप सिंह को क्लीन चिट दे चुका है।
सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की कुछ नजीरों का हवाला देते हुए कुछ दिन पहले डीएम यूएस नगर ने कोर्ट को पत्र लिखकर दिनेश प्रताप सिंह के खिलाफ मुकदमा न चलाने की बात कही थी।
इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया। कोर्ट ने कहा कि ‘किसी जिला मजिस्ट्रेट को सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की नजीरों का उल्लेख कर अपनी राय रखते हुए आरोपी को दोषमुक्त कर वाद समाप्त करने और कार्यवाही न करने का पत्र लिखने का अधिकार नहीं है।’ कहा कि ‘इससे केवल आरोपी को बचाने के लिए शासन-प्रशासन की मिलीभगत प्रदर्शित होती है।
‘ पूरे मामले में अभियोजन अधिकारी दीपा रानी और एडीजीसी गिरजाशंकर पांडे ने पूरी मजबूती से अपना पक्ष रखा। एडीजीजी गिरजाशंकर पांडे ने बताया कि दलीलें सुनने के बाद विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम) व द्वितीय अपर सेशन न्यायाधीश हल्द्वानी नीलम रात्रा की कोर्ट ने डीएम यूएसनगर के पत्र को निरस्त करते हुए कार्रवाही जारी रखने के आदेश दिए हैं।