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उत्तराखंड में जल्द ही हो सकती है त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की घोषणा

उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अब मई के अंत तक हो सकते हैं। पहले सरकार की तैयारी अप्रैल माह के अंत तक चुनाव कराने की थी, लेकिन ऊधमसिंह नगर के दो ब्लाक में कुछ पंचायतों के नगर निगम में शामिल होने के बाद परिसीमन का गणित गड़बड़ा गया है।

इसके अलावा अभी ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने की प्रक्रिया भी अपनाई जानी शेष है। इसके लिए सरकार एकल समर्पित आयोग का कार्यकाल बढ़ाने जा रही है। इसका प्रस्ताव शीघ्र ही कैबिनेट में आएगा।

उत्तराखंड में हरिद्वार को छोड़कर 12 जिलों में त्रिस्तरीय पंचायतों का कार्यकाल बीते वर्ष 27 नवंबर को समाप्त हो गया था। सरकार ने दिसंबर माह में अगले छह माह या चुनाव होने तक प्रशासक नियुक्त कर दिए थे।

ऐसे में सरकार के पास चुनाव कराने के लिए जून तक का समय है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव को लेकर शासन से रिपोर्ट मांगी थी, जो पंचायत निदेशालय की ओर से शासन को सौंप दी गई है।

प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव के लिए विभाग की ओर से हरिद्वार को छोड़कर सभी जिलों में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का परिसीमन किया गया। लेकिन ऊधमसिंह नगर के दो ब्लाकों में कुछ गांवों के नगर निगम में शामिल होने के बाद वहां परिसीमन की प्रक्रिया अटक गई।

इसी मामले में कुछ लोग कोर्ट चले गए। इसके कारण प्रक्रिया थोड़ा आगे खिसक गई है। पंचायती राज विभाग सचिव चंद्रेश कुमार कहते हैं कि त्रिस्तरीय पंचायतों में चुनाव कराने को लेकर सरकार की पूरी तैयारी है।

कुछ तकनीकी पेच के चलते थोड़ी देरी हुई है। हालांकि सरकार के पास अभी 65 दिन से अधिक का समय शेष है। इस अवधि में चुनाव करा लिए जाएंगे।

परिसीमन के बाद बदला है पंचायतों का स्वरूप

परिसीमन के बाद ग्राम पंचायतों की संख्या 7,796 से बढ़कर 7,823 हो गई। ग्राम पंचायत वार्ड 59,219 से बढ़कर 59,357 और जिला पंचायत की सीटें 385 से बढ़कर 389 हो गई थीं।

वहीं, क्षेत्र पंचायतों की संख्या बढ़ने के बजाय 3,162 से घटकर 3,157 हो गई, लेकिन शहरी विकास विभाग की ओर से कुछ निकायों का विस्तार एवं कुछ ग्राम पंचायतों को नगर पालिका क्षेत्र से बाहर किया गया है।

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