भवाली। भीषण गर्मी से कई सालों का रिकौड़ तोड़ सूखे का असर इस बार खेती को तो चौपट कर ही चुका है।
अब जो बागवन सब्जी उत्पाद पर भी इसका विपरीत असर पडा़ है पहले तो सूखे के कारण पहले इस बार फूल /फल मैं परिवर्तित ही नहीं हुआ।
इस साल सेव खुमानी मैं फल है ही नहीं आडू एवं पुलम मैं जो थोडा बहुत फल था वो पेड़ मैं पर्याप्त पोषण न होने के कारण सूख कर गिर रहा अब तो पेड़ भी सूखने के कगार पर हैं।
आलू मटर की फसलें तो परी तरह बर्बाद हो चुकी हैं। किसानों की गोबी टमाटर शिमला मिर्च की फसलें जिनकी पौंध किसान ने तैयार की थी वो क्यारी मैं ही सूख रही हैं।
अब गांवों में पेयजल का संकट है। पशु जो कि घरों पर ही बंधे रहते हैं उनके लिए एवं स्वयं अपने लिए पेयजल की व्यवस्था करना गाँवों के महिला पुरुषों की यही दिनचर्या बन चुकी है।
आग से जले जंगल जो हमारे जानवरों को हरा चारा देते थे अब जानवरों की चारे की भारी कमीयों से जूझ रहे हैं।
आम किसान का दर्द /पीडा़ केवल उसे ही पता है
दिनोंदिन बढता तापमान खेती बागवनी पशुओं की मुश्किलों को बढा ही रहा है।
ऐसे सूखे की तैयारी न किसान के पास थी न सरकार के पास अब न भविष्य की फसल की सम्भावना तो आजीविका का संकट ।
सुखे की मार से परेशान तारा दत्त तिवारी, प्रकाश, अमित जोशी, खीमानन्द जोशी, गिरीश शर्मा, भैरप दत्त पाण्डेय बिशन सिंह आदि ने अपनी पीड़ा नैनीताल न्यूज़ 24 से साझा की।
उन्होंने कहा कि भविष्य में सरकारों को कृषि व बागवानी जिससे कि मनुष्य की जीवन के लिए अति आवश्यक है इसके लिए सरकारों को समय पर रहते जल स्रोतों व जगह-जगह जल संचय के लिए तालाबों का निर्माण कराये।
जिससे कि भविष्य की चुनौतियों से निपटा जा सके और लोगों के सामने और जीवन यापन का संकट न आए।