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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पति-पत्नी के विवाह विच्छेदन के दौरान बच्चों कोकी परवरिश पर पड़ने वाले प्रभाव के सम्बंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।

रिपोर्टर – गुड्डू सिंह ठठोला

नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने पति पत्नी के विवाह विच्छेद के दौरान बच्चों की परवरिश पर पड़ने वाले प्रभाव के सम्बंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने केंद्र सरकार से 6 मार्च तक स्थिति से स्पस्ट कराने को कहा है।  मामले की अगली सुनवाई 6 मार्च की तिथि नियत की है।

मामले के अनुसार अधिवक्ता श्रुति जोशी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि पति पत्नी के विवाह विच्छेद (तलाक) के दौरान इसका सबसे बुरा प्रभाव उनके बच्चों की परवरिश, शिक्षा ,रहन शहन व आदि पर पड़ता है। जो प्यार बच्चो को पति पत्नी के एक साथ रहकर मिल सकता है वह विवाह विच्छेद के दौरान नही।

जिसकी वजह से बच्चे आगे नही बढ़ पाते है उनकी परवरिश ठीक से नही हो पाती। इस सम्बंध में केंद्र सरकार के विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि विवाह विच्छेद के दौरान बच्चों की परवरिश करने की जिम्मेदारी पति पत्नी दोनों की होनी चाहिए।

इसलिए संरक्षक और प्रतिपाल्य अधिनियम 1890 में संसोधन करने की आवश्यकता है। यह बिल अभी केंद्र सरकार में लंबित है।

जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि जब तक यह बिल पास नही हो जाता तब तक न्यायलय बच्चों की परवरिश के लिए दिशा निर्देश जारी करें।

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बाईट :- श्रुति जोशी, अधिवक्ता।

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