उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड के वन रावत और वन राजी जनजाति जनहित समुदाय का अस्तित्व खतरे में होने क़ो लेकर प्राधिकरण की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की
रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के वन रावत और वन राजि जनजाति समुदाय का अस्तित्व खतरे में होने को लेकर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की ।
मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश अध्यक्षता वाली खण्डपीठ में आज समाज कल्याण विभाग के निदेशक कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए।
सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी व न्यायमूर्ती राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने राज्य सरकार ,केंद्र सरकार व राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिए हैं कि वे दो सप्ताह के भीतर राज्य व केंद्र सरकार के द्वारा योजित इनके उत्थान के लिए
उत्तराखंड स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी की ओर से जारी निर्देशों पर अमल करें। इस मामले में जनहित याचिका दायर की गई है। जनहित याचिका में कहा गया कि उत्तराखंड में वन रावत व वन राजि जनजाति का अस्तित्व समाप्त होने के कगार पर है।
इस जनजाति की जनसंख्या लगातार घटती जा रही है। जिसकी वर्तमान जनसंख्या सिमट कर अब लगभग 900 रह गयी है।
इस जनजाति के लोगों के पास बुनियादी सुविधायें तक अब नही रही है। इनके स्वास्थ्य, शिक्षा और रहने खाने के लिये कोई उचित प्रबंध नहीं है। इनकी शिक्षा के लिये कोई प्रबंध नहीं है।
यह जनजाति विलुप्ति के कगार पर पहुँच गयी है। सरकार इस जनजाति के वजूद को बनाये रखने के लिये कोई ठोस योजना नहीं बना रही है।
जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई कि सरकार उनके अस्तित्व को बचाये रखने के लिए मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं।
जबकि सुनवाई पर सरकार की ओर से कहा गया कि सरकार बुनियादी सुविधायें मुहैया करा रही है। अंत में अदालत ने समाज कल्याण विभाग के निदेशक को आगामी 19 फरवरी को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये।