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सरकार को दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश 

नैनीताल।  हाईकोर्ट ने राज्य के सांसदों एवं विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मुकदमों की त्वरित सुनवाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देश पर स्वत संज्ञान लेकर बुधवार को सुनवाई की।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी एवं न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार से प्रदेश में सांसदों व विधायकों पर दर्ज आपराधिक केसों का रिकॉर्ड मांगा है।

कोर्ट ने कहा कि सांसदों-विधायकों पर कितने आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, कितने अभी विचाराधीन हैं। इनकी जानकारी दो सप्ताह के भीतर कोर्ट को दें।

कोर्ट ने पहले भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश पर संज्ञान लिया था, परंतु अभी तक सरकार ने विधायकों एवं सांसदों के खिलाफ विचाराधीन मामलों की सूची कोर्ट में उपलब्ध नहीं कराई है।

इस पर कोर्ट ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करते हुए मामले में बुधवार को फिर सुनवाई की।

मामले के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने अगस्त 2021 में सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों को निर्देश दिए थे कि उनके राज्य में सांसदों और विधायकों के खिलाफ विचाराधीन मुकदमों की त्वरित सुनवाई कराएं।

राज्य सरकारें आईपीसी की धारा 321 का गलत उपयोग कर अपने राज्य के सांसदों और विधायकों के मुकदमे वापस ले रही हैं। जैसे मुजफ्फरनगर दंगे के आरोपी साध्वी प्राची, संगीत सोम, सुरेश राणा का मुकदमा उत्तर प्रदेश सरकार ने वापस ले लिया।

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालयों को यह भी निर्देश दिए हैं कि राज्य सरकारें बिना उच्च न्यायालय की अनुमति के इनके मुकदमे वापस नहीं ले सकती हैं। इनके मुकदमों के शीघ्र निस्तारण के लिए विशेष न्यायालयों का गठन करें।

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