देहरादून। उत्तराखंड के राजकीय विद्यालयों के समस्त शिक्षकों और प्रधानाचार्य को 50 घंटे का शिक्षण अधिगम प्रशिक्षण (आइसीटी) लेना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) में शिक्षण प्रक्रिया में डिजिटल पैडागोजी के महत्व को प्रमुखता से रेखांकित किया गया है।
एससीईआरटी के अपर निदेशक प्रदीप कुमार रावत ने माध्यमिक और प्रारंभिक शिक्षा निदेशकों को पत्र जारी कर सभी शिक्षकों और प्रधानाचार्य को प्रशिक्षण कार्यक्रमों में शामिल होने के निर्देश दिए हैं, ताकि पठन-पाठन में आधुनिक तकनीकों का अधिक से अधिक उपयोग किया जा सके।
अपर निदेशक से बताया कि एससीईआरटी ने डिजिटल तकनीकी के महत्व को देखते हुए सभी शिक्षकों के लिए ई-सृजन एप तैयार किया है, जिससे शिक्षक तकनीकी रूप से दक्ष हो सकें। अपर निदेशक ने कहा कि पूर्व में यह प्रशिक्षण कई शिक्षकों ने गंभीरता से नहीं लिया, जो शिक्षक के रूप में स्वयं के उत्तरदायित्वों के प्रति उदासीनता दिखाई देती है।
समस्त शिक्षक, जिनमें डायट, एससीईआरटी, सीमैट, विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक व समस्त शिक्षकों को एक बार 50 घंटे का प्रशिक्षण 31 मार्च 2025 तक अनिवार्य रूप से लेना है।
ट्रेनिंग नहीं की पूरी तो किया जाए वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में यह दर्ज
बताया कि जिन कार्मिकों का यह प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा हो चुका है, उन्हें प्रमाण पत्र दिया जाएगा। समय पर प्रशिक्षण पूरा नहीं करने वाले कार्मिक की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में यह दर्ज किया जाएगा। जनपदों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले शिक्षकों को खंड शिक्षा अधिकारी व उपशिक्षा अधिकारी प्रमाण पत्र निर्गत करेंगे।