धामी कैबिनेट द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय..
1-चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्तराखण्ड शासन।
राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार में 100 एम०बी०बी०एस० प्रशिक्षु क्षमता के संचालन हेतु आवश्यक पदों के सृजन के संबंध में।
उत्तराखण्ड एक पर्वतीय एवं विषम भौगोलिक स्थितियों वाला राज्य है। प्रदेश के पर्वतीय, दुर्गम एवं दूरस्थ क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी जनसामान्य के लिए विशेषीकृत चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध नहीं है। भारत सरकार द्वारा 90ः10 के अनुपात में केन्द्र पोषित योजना (सी०एस०एस०) के अन्तर्गत राजकीय मेडिकल कॉलेहरिद्वार को स्वीकृत किया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज, हरिद्वार को वर्ष 2024-25 से एम०बी०बी०एस० कक्षायें संचालित किये जाने हेतु शासन स्तर से अनिवार्यता प्रमाण पत्र निर्गत किया जा चुका है। अतः एन०एम०सी० से एम०बी०बी०एस० कक्षायें संचालित किये जाने हेतु अनुमति प्राप्त किये जाने के संबंध में उक्त नवीन स्वीकृत मेडिकल कॉलेज के त्वरित संचालन, अन्य व्यवस्थाओं एवं पर्यवेक्षण आदि किये जाने हेतु ढांचा सृजित किया गया है।
2-चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, उत्त्तराखण्ड शासन।
राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़ में 100 एम०बी०बी०एस० प्रशिक्षु क्षमता के संचालन हेतु आवश्यक पदों के सृजन के संबंध में।
उत्तराखण्ड एक पर्वतीय एवं विषम भौगोलिक स्थितियों वाला राज्य है। प्रदेश को पर्वतीय, दुर्गम एवं दूरस्थ क्षेत्रों के साथ ही मैदानी क्षेत्रों में भी जनसामान्य के लिए विशेषीकृत चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध नहीं है। भारत सरकार द्वारा 90ः10 के अनुपात में केन्द्र पोषित योजना (सी०एस०एस०) के अन्तर्गत राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़ को रवीकृत किया गया है।
राजकीय मेडिकल कॉलेज, पिथौरागढ़ को आगामी शैक्षणिक सत्र हेतु अनिवार्यता प्रमाण पत्र निर्गत किये जाने की कार्यवाही गतिमान है। अतः एन०एम०सी० से एम०बी०बी०एस० कक्षायें संचालित किये जाने हेतु अनुमति प्राप्त किये जाने के संबंध में उक्त नयीन रवीकृत मेडिकल कॉलेज के त्वरित संचालन, अन्य व्यवरथाओं एवं पर्यवेक्षण आदि किये जाने हेतु ढांचा सृजित किया गया है।
3-माध्यमिक शिक्षा विभाग
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत राजकीय हाईस्कूल एवं राजकीय इण्टर कालेजों में शिक्षकों के लम्बे अवकाश की स्थिति में छात्रहित में अस्थाई शिक्षकों को प्रतिवादन की दर से मानदेय पर कार्ययोजित किए जाने के सम्बन्ध में।
माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत शिक्षकों के रिक्त पदों के अतिरिक्त दीर्घावकाश यथा चिकित्सा अवकाश, मातृत्व अवकाश एवं बाल्य देखभाल अवकाश आदि के फलस्वरूप प्रदेश में हर समय लगभग 1500-2000 शिक्षक 15 दिन से 06 माह की अवधि तकअवकाश पर रहने के कारण छात्र-छात्राओं का शिक्षण कार्य प्रभावित होता है एवं शैक्षिक गुणवत्ता पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
2- उपरोक्त कठिनाई के दृष्टिगत सहायक अध्यापक एल०टी० तथा प्रवक्ता संवर्ग के महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षक / शिक्षिकाओं के कम से कम एक माह के दीर्घ अवकाश की स्थिति में सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाचार्य की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा विज्ञप्ति प्रकाशित की जायेगी। निर्धारित शैक्षिक एवं प्रशिक्षण अर्हता रखने वाले अभ्यथी को मैरिट के आधार पर सहायक अध्यापक एल०टी० के विषयों हेतु रू0 200.00 (दो सौ) एवं प्रवक्त्ता के विषय हेतु 250.00 (दो सौ पचास) प्रतिवादन की दर से मानदेय पर शिक्षणकार्य हेतु तात्कालिक / नितान्त अस्थायी व्यवस्था पर सम्बन्धित खण्ड शिक्षा अधिकारी से अनुमोदनोपरान्त कार्ययोजित किया जायेगा। विद्यालय के सेवित क्षेत्र के निकटस्थ निर्धारित योग्यता रखने वाले अभ्यर्थी को वरीयता प्रदान की जायेगी। उक्त योजना प्रदेश हित में लागू किए जाने का निर्णय मा० मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है।
4-वित्त विभाग
उत्तर प्रदेश के समय से तैनात आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारियों की तदर्थ सेवाओं को अर्हकारी सेवा के रूप में आगणित करते हुए पेंशन एवं सेवानिवृत्तिक लाभ अनुमन्य कराये जाने के सम्बन्ध में।
दिनांक-01 अक्टूबर, 2005 से पूर्व तदर्थ रूप से नियुक्त राज्य सरकार के अन्तर्गत आयुष विभाग के चिकित्सक एवं अन्य कार्मिक तथा राज्य सरकार के अन्य राजकीय विभागों में कार्यरत समस्त कार्मिक, जो दिनाक 01 अक्टूबर, 2005 के उपरान्त विनियमित किये गये हों या जिनकाविनियमितीकरण आदेश निर्गत करने से पूर्व निधन हो गया हो, अथवा सेवानिवृत्त हो गये हों तथा जो उत्तराखण्ड विनियमितीकरण नियमावली, 2002 के सुसंगत प्राविधानों के अन्तर्गत दिनांक 01 अक्टूबर, 2005 से पूर्व विनियमितीकरण की अर्हता रखते हों, एवं तत्समय नियमित पद रिक्त हो, के सम्बन्ध में कार्यवाही की जानी प्रस्तावित है।
5-वित्त अनुभाग-9
उत्तराखण्ड राज्य में लेखपत्रों के निबंधन की प्रक्रिया में Virtual Registration की प्रक्रिया को पंजीकरण की कार्यवाही में कार्यान्वयन किये जाने के सम्बन्ध में।
वर्तमान में राज्य में लेखपत्रों के निबंधन में पक्षकारों को अभी कार्यालय में उपस्थित हो कर बयान दर्ज कराने के पश्चात निबंधन कराना पड़ता है। Virtual Registration की प्रक्रिया के अस्तित्व में आने के पश्चात पक्षकार अपने ही स्थान से लेखपत्र को तैयार कर आनलाइन लिंक के माध्यम से प्रस्तुत कर सकेंगें साथ ही उम्रदराज,बीमार एवं असहाय लोगों को कार्यालय में उपस्थित हो कर लेखपत्रों का निबंधन कराने से मुक्ति प्राप्त होगी। पक्षकारों के दूरस्थ स्थानों पर होने के फलस्वरूप विलेखों का पंजीकरण सम्भव नही हो पाता है, अतः ऐसे विलेखों का पंजीकरण आसान होगा। उक्त के अतिरिक्त Virtual Registration की प्रक्रिया को लागू होने से औद्योगिक निवेश को बल मिलेगा।
उप निबंधक कार्यालय Video KYC के माध्यम से पक्षकारों का सत्यापन एवं विलेख में वर्णित तथ्यों का परीक्षण कर विलेखों के पंजीकरण की कार्यवाही को E-Sign के माध्यम से पूर्ण करेंगें। पक्षकार विलेख की Digitally Singed Copy को आनलाइन अपलोड करना भी सम्भव होगा। Virtual Registration की प्रक्रिया को आधार प्रमाणीकरण से भी अंर्तसम्बन्धित (लिंक) किया जायेगा जिससे कि जनसुविधा के साथ साथ फर्जीवाड़े पर भी रोक लग सके।
उक्त क्रम में भारत सरकार द्वारा निम्न कार्यों हेतु आधार प्रमाणिकरण का ऐच्छिक रूप से प्रयोग किये जाने हेतु अनुमति प्रदान की गयी है-
विलेखों का पंजीकरण ।
विवाह पंजीकरण।
विवाह प्रमाण एवं लेखपत्रों की प्रमाणित प्रति निर्गत करना।
भार मुक्त प्रमाण (Non Encumbrance Certificate)
पंजीकृत लेखपत्रों के ई-सर्च।
उपरोक्त कार्यों के सफल कियान्वयन हेतु स्टाम्प एवं निबन्धन विभाग को Sub-KUA (e-KYC User Agency) के रूप में अधिकृत किये जाने हेतु भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण एवं NIC/C-DAC के साथ एम.ओ.यू. की प्रक्रिया जल्द सम्पन्न की जायेगी। आधार प्रमाणीकरण हेतु शासन से अनुमति के उपरान्त अधिसूचना निर्गत की जा चुकी है।
6-उत्कृष्ट विद्यालयों (Centre For Excellence) की स्थापना के सम्बन्ध में।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु माध्यमिक शिक्षा विभाग के अन्तर्गत छात्र-छात्राओं को आधुनिक तकनीकी का प्रयोग करते हुए अनुकूल वातावरण के अन्तर्गत गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान किये जाने हेतु प्रदेश में 559 उत्कृष्ट विद्यालयों की स्थापना की जानी है। उत्कृष्ट विद्यालय के रूप में ऐसे विद्यालय का चयन किया जाएगा जिसके 15 कि0मी की परिधि में अधिक से अधिक राजकीय हाईस्कूल एवं राजकीय इण्टर कालेज संचालित हों।
2- उत्कृष्ट विद्यालयों में आवश्यक भौतिक संसाधनों के अन्तर्गत यथाआवश्यक खेल का मैदान, कक्षा-कक्ष, शौचालय, पेयजल तथा चाहरदीवारी की समुचित व्यवस्था की जायेगी। विद्यालय में इण्टर स्तर पर भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, कम्प्यूटर तथा गणित विषय की प्रयोगशालायें विकसित की जायेंगी तथा हाईस्कूल स्तर पर विज्ञान, गणित एवं कम्प्यूटर की प्रयोगशलायें स्थापित की जायेगी। उत्कृष्ट विद्यालय में प्रत्येक विषय हेतु शिक्षकों की व्यवस्था सुनिश्चित किये जाने के साथ-साथ विद्यालय में स्मार्ट क्लासरूम भी
विकसित किये जाने होंगे, जिससे आधुनिकतम शैक्षिक तकनीकी का उपयोग छात्र-छात्राओं के शैक्षिक उन्नयन हेतु किया जायेगा। योजना में लगभग 240 करोड़ का व्यय सम्भावित है।
3- उत्कृष्ट विद्यालयों में निकटवर्ती क्षेत्रों से आने वाले विद्यार्थियों हेतु स्थानीय स्तर पर ट्रांस्पोर्ट की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी। उक्त योजना प्रदेश हित में लागू किए जाने का निर्णय मा० मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है।
7-ग्रामीण निर्माण विभाग।
‘मुख्यमंत्री ग्राम सम्पर्क योजना’ प्रारम्भ किये जाने के सम्बन्ध में।
मा० मुख्यमंत्री जी के निर्देशों के कम में ग्रामीण निर्माण विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा प्रस्तावित ‘मुख्यमंत्री ग्राम सम्पर्क योजना’ के अन्तर्गत उत्तराखण्ड राज्य के ऐसे गाँव/तोक जिनकी आबादी 250 तक है, को मुख्य सड़कों से जोड़ने के लिए नई योजना अनुमोदित की गयी है, जिसमें ऐसे गाँवों / बसावटों को सम्पर्क में लाया जायेगा, जो कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना अथवा लोक निर्माण विभाग की कार्ययोजनामानकों में सम्मिलित नहीं है। वर्तमान में प्रदेश की लगभग 2035 बसावटें मुख्य मोटर मागों से नहीं जुड़ी हैं तथा 1142 बसावटें ऐसी हैं जो ग्रामीण सड़कों के मानकों के अनुसार नहीं बनी हैं। इस प्रकार कुल 3177 बसावटों को मुख्य मार्गों से जोड़ने हेतु नई योजना में सम्मिलित किया गया है। इस योजना के अन्तर्गत मोटर मागों के अतिरिक्त पैदल पुलिया, मोटरपुल, अश्वमार्ग, झूला पुल निर्माण आदि प्रस्तावित किए जा सकेंगे।