उत्तराखंड में इस साल होने वाली कांवड़ यात्रा को लेकर धामी सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं।
श्रद्धालुओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सरकार ने यात्रा मार्ग पर खाद्य व्यवसायों के लिए सख्त नियम लागू किए हैं।
इस बार कोई भी दुकानदार या फेरीवाला बिना पहचान के कारोबार नहीं कर सकेगा. हर खाद्य प्रतिष्ठान को मालिक का नाम, लाइसेंस और पहचान पत्र स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा. नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई सुनिश्चित की गई है।
खाद्य सुरक्षा विभाग के नए दिशा-निर्देशों के तहत, कांवड़ यात्रा मार्ग पर सभी खाद्य प्रतिष्ठानों, जैसे ढाबे, होटल, ठेले और भंडारे, को मालिक का नाम, लाइसेंस या पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदर्शित करना होगा. इसके अतिरिक्त, फूड सेफ्टी डिस्प्ले बोर्ड लगाना भी अनिवार्य है, ताकि श्रद्धालु भोजन की गुणवत्ता और जिम्मेदारी के बारे में स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर सकें. यह कदम यात्रियों की सुरक्षा और विश्वास को बढ़ाने के लिए उठाया गया है।
नियमों की अवहेलना पर सख्त सजा
नए नियमों का पालन न करने वाले कारोबारियों के खिलाफ खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 की धारा 55 के तहत कार्रवाई होगी. इसमें ₹2 लाख तक का जुर्माना और गंभीर मामलों में आपराधिक मुकदमा दर्ज हो सकता है. स्वास्थ्य सचिव एवं खाद्य संरक्षा आयुक्त डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा, ‘किसी भी हालत में श्रद्धालुओं की सेहत से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा।’
हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, पौड़ी और उत्तरकाशी में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीमें तैनात की गई हैं. ये टीमें यात्रा मार्ग पर भंडारों, पंडालों और दुकानों से दूध, मिठाई, तेल, मसाले और पेय पदार्थों के नमूने एकत्र करेंगी।
यदि कोई नमूना मानकों पर खरा नहीं उतरता, तो संबंधित प्रतिष्ठान को तत्काल बंद कर दिया जाएगा. अपर आयुक्त ताजबर सिंह जग्गी ने चेतावनी दी, ‘मिलावटखोरों और बिना लाइसेंस कारोबार करने वालों पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी.’
शिकायत निवारण के लिए टोल-फ्री नंबर
श्रद्धालुओं और आम जनता की सुविधा के लिए सरकार ने टोल-फ्री नंबर 18001804246 जारी किया है. इस नंबर पर खाद्य गुणवत्ता संबंधी शिकायतें दर्ज की जा सकती हैं. शिकायत मिलने पर प्रशासनिक टीमें तुरंत कार्रवाई करेंगी। साथ ही, प्रत्येक जिले से दैनिक कार्रवाई की रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी।
आस्था और स्वास्थ्य का संतुलनधामी सरकार ने सभी भंडारा संचालकों, मंदिर समितियों और खाद्य विक्रेताओं से अपील की है कि वे शुद्ध और सुरक्षित भोजन परोसकर श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान करें. सरकार का लक्ष्य इस पवित्र यात्रा में आस्था और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखना है।

