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उत्तराखंड के बागेश्वर से मां की ममता को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है।

अभी मासूम को छह दिन भी नहीं हुए थे इस धरती पर जन्म लिए हुए थे। इस नन्ही जान ने भला ऐसा कौन सा गुनाह कर दिया कि तू अपने आंगन में मेरी मासूम किलकारियां नहीं सुनना चाहती, मेरी अठखेलियां नहीं देखना चाहती।

तेरे आंगन में घुटनों के बल चलकर तेरे पास आती तो मेरी मुस्कुराहट तेरे कई दुखों को दूर कर देती।

कहते हैं बच्चियां तो लक्ष्मी का रूप होती हैं आखिर ऐसी कौन सी तेरी मजबूरी थी कि तूने अपनी कोख से जन्म देने के बाद भी उस लक्ष्मी को मरने के लिए छोड़ दिया।

तू वात्सल्य का सुख भी नहीं कबूल करना चाहती। ये सवाल पॉलीथिन में लपेटकर झाड़ियों में फेंकी गई छह दिन की नवजात अपनी मां से जरूर पूछती अगर वह कुछ बोल सकने लायक होती।

जिला मुख्यालय के कोतवाली क्षेत्र में हुई ममता को शर्मसार करने वाली इस घटना ने सब को स्तब्ध कर दिया है। लोगों ने मासूम की किलकारी सुनी तो इसकी सूचना कोतवाली पुलिस को दी।

पुलिस मौके पर पहुंचकर मासूम को अस्पताल ले गई, जहां उसका इलाज चल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार मासूम स्वस्थ है।

एक तरफ देश में बेटियां नई-नई ऊंचाइयों को छूकर मिसाल कायम कर रहीं हैं। शासन-प्रशासन की ओर से भी बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के नारे बुलंद किए जा रहे हैं।

वहीं कोतवाली क्षेत्र में ठाकुरद्वारा वार्ड के नरसिंह मंदिर के पास एक छह दिन की नवजात बच्ची को पॉलीथिन में लपेटकर झाड़ी में फेंक दिया गया।

आसपास रह रहे लोगों को बच्ची के रोने की आवाज सुनाई दी तो उन्होंने मौके पर जाकर देखा। वहां पॉलीथीन में लपेटकर बच्ची को फेंका गया था। उन्होंने इसकी सूचना कोतवाली पुलिस को दी।

कोतवाल कैलाश सिंह नेगी ने बताया कि मामले की छानबीन की जा रही है। बच्ची को जिला अस्पताल पहुंचाया गया जहां उसका उपचार किया जा रहा है।

डॉक्टर दीपाली ने बताया कि बच्ची अभी स्वस्थ लग रही है उसे निगरानी के लिए जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है।

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