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उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के चौथे दिन शुक्रवार को उत्तराखंड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950)(संशोधन) विधेयक, 2025 पास हो गया। विपक्ष की ओर से इसे प्रवर समिति को भेजे जाने का प्रस्ताव नामंजूर हो गया।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि देवभूमि के मूल स्वरूप और डेमोग्राफी को बदलने से बचाने के लिए सख्त भू-कानून लाया गया है। जानिए जमीन खरीदने से जुड़ी पाबंदियां और नए बदलाव।

12.5 एकड़ से अधिक जमीन खरीद पर रोक

मुख्यमंत्री धामी ने भोजनावकाश के बाद भू-कानून पर बोलते हुए कहा कि अब प्रदेश के 11 पहाड़ी जिलों में कृषि और उद्यान की जमीन खरीद को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है।

साढ़े 12 एकड़ से अधिक भूमि खरीद पर भी रोक लगा दी गई है। हरिद्वार और यूएसनगर में भी शासन की मंजूरी के बाद ही जमीन खरीदी जा सकेगी।

जानिए जमीन खरीदने और मंजूरी से जुड़ी बातें

उन्होंने कहा कि निकाय से बाहर 250 वर्ग मीटर भूमि खरीद के लिए दिया गया शपथ पत्र झूठा पाए जाने पर उक्त जमीन को सरकार में निहित किया जाएगा। जमीन खरीद को डीएम स्तर से मंजूरी देने की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।

निवेश के लिए भी जमीन खरीद की मंजूरी भूमि अनिवार्यता प्रमाण पत्र के आधार पर ही मिलेगी।

सीएम धामी बोले जमीन दुरुपयोग पर लगेगी लगाम

मुख्यमंत्री ने कहा कि अब निवेश के नाम पर कोई भी जमीनों का दुरुपयोग नहीं कर पाएगा। नगर निकाय सीमा में भी व्यक्ति जिस प्रयोजन के लिए जमीन खरीदेगा, उसी के लिए इस्तेमाल कर सकेगा।

तय प्रयोजन से हटकर जमीन का दुरुपयोग करने की स्थिति में भू-कानून के तय प्रावधान के तहत कार्रवाई होगी।

सदन में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने भू-कानून को प्रवर समिति को भेजने की मांग करते हुए कहा कि जो संशोधित भू कानून लाया गया है, उसमें खामियां हैं। इस कानून से तराई की जमीनें खत्म हो जाएंगी।

सरकार एनडी तिवारी सरकार के भू कानून को पूरी तरह अमल में लाए। किसी भी तरह की जमीन खरीद की मंजूरी न दी जाए।

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