नैनीताल में एक अहम मामले में न्यायालय ने मात्र तीन माह के भीतर दहेज उत्पीड़न के आरोपों से पति और सास को दोषमुक्त करार दिया।
इस फैसले से यह स्पष्ट हुआ कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं के अधिकारों के साथ-साथ पुरुषों के अधिकारों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
मामला 22 नवंबर 2022 को हुई निशा और अनिल बिष्ट के विवाह से संबंधित था। निशा ने आरोप लगाया कि उसके पति अनिल और सास राधिका ने दहेज में ₹12 लाख, स्कूटी और एलईडी टीवी की मांग की थी।
इसके साथ ही निशा ने यह भी आरोप लगाया कि गर्भ में लड़की होने की जानकारी मिलने के बाद उसके भ्रूण की हत्या की साजिश की गई थी।
निशा की शिकायत पर मुक्तेश्वर थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 498, 504 और 3/4 दहेज अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
न्यायालय ने छह अभियोजन और तीन बचाव पक्ष के गवाहों को सुना। अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही में विरोधाभास पाया गया, और यह सिद्ध नहीं हो पाया कि दहेज की मांग की गई थी।
यह भी पाया गया कि आरोपी अनिल बिष्ट घटना के समय नौकरी पर थे और गर्भ परीक्षण से संबंधित कोई मेडिकल दस्तावेज नहीं प्रस्तुत किए गए थे।