मर्द को भी दर्द होता है और जान ले लेता है! अतुल सुभाष अकेले नहीं… सुसाइड करने वाले 10 में से 7 पुरुष
अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला; क्या भारतीय न्यायपालिका कर रही है पुरुषों के अधिकारों की अनदेखी
बेंगलुरु में पत्नी प्रताड़ना से तंग आकर पति अतुल सुभाष ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. अतुल सुभाष ने खुदकुशी से पहले सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट किया और साथ ही मामले की सुनवाई कर रही जज से हुई बातचीत के अंश का भी जिक्र किया, जिसको लेकर अब बवाल मच गया है।
सोशल मीडिया पर लोग जमकर अतुल सुभाष की पत्नी, जज और पुलिसकर्मियों के खिलाफ गुस्सा जाहिर कर रहे हैं।
पुलिस अधिकारी प्रणव महाजन ने ट्वीट करते हुए अतुल सुभाष की मौत पर दुख जताया। साथ ही उन्होंने पार्टनर से विवाद होने के दौरान किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए और कौन सी चीजों का रिकॉर्ड रखना चाहिए, इसके बारे में उन्होंने बताया है. वहीं डॉक्टर बीएल बैरवा ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘ये जालिम दुनिया और ठगों का भ्रष्ट सिस्टम।’
सुसाइड नोट में अतुल ने बताया कि निकिता और उसके परिवार वालों ने उनपर घरेलू हिंसा, हत्या की कोशिश, दहेज प्रताड़ना समेत 9 केस दर्ज करवा दिए थे. अतुल और निकिता की शादी 2019 में हुई थी. अतुल ने बताया कि शादी के बाद से ही निकिता और उसके परिवार वाले किसी न किसी बहाने से उनसे पैसे मांगते थे।
वीडियो में अतुल कह रहे हैं कि मुझे खुदकुशी कर लेनी चाहिए, क्योंकि मैं जो पैसा कमा रहा हूं, उससे मेरे दुश्मन और मजबूत हो रहे हैं. मेरे टैक्स से मिलने वाले पैसे से कोर्ट और पुलिस सिस्टम मुझे, मेरे परिवार और अच्छे लोगों को परेशान करेगा. इसलिए वैल्यू की सप्लाई खत्म होनी चाहिए।
इस पूरे मामले का लब्बोलुआब बस इतना है कि अतुल के खिलाफ कथित रूप से उनकी पत्नी और रिश्तेदारों ने झूठे केस दर्ज करवा दिए थे. इसने उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर कर दिया।
लेकिन आत्महत्या जैसा ठोस कदम उठाने वाले अतुल सुभाष अकेले नहीं हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं. दुनियाभर में आत्महत्या मौत की तीसरी सबसे बड़ी वजह है. अकेले भारत में साल दर साल आत्महत्या करने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है।
महिलाओं से ज्यादा पुरुष कर रहे आत्महत्या
एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि आत्महत्या करने वालों में महिलाओं की तुलना में पुरुषों की संख्या कहीं ज्यादा है।
दो दशकों के आंकड़े बताते हैं कि भारत में सुसाइड करने वाले हर 10 में से 6 या 7 पुरुष होते हैं. 2001 से 2022 के दौरान हर साल आत्महत्या करने वाली महिलाओं की संख्या 40 से 48 हजार के बीच रही. जबकि, इसी दौरान सुसाइड करने वाले पुरुषों की संख्या 66 हजार से बढ़कर 1 लाख के पार चली गई।
2022 में 1.70 लाख से ज्यादा लोगों ने आत्महत्या की थी, जिनमें से 1.22 लाख से ज्यादा पुरुष थे. यानी हर दिन औसतन 336 पुरुष आत्महत्या कर लेते हैं. इस हिसाब से हर साढ़े 4 मिनट में एक पुरुष सुसाइड कर रहा है।
सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दुनियाभर के आंकड़े बताते हैं कि पुरुष ज्यादा आत्महत्या करते हैं. WHO के मुताबिक, दुनिया में हर एक लाख मर्दों में से 12.6 सुसाइड करके अपनी जान दे देते हैं. वहीं, हर एक लाख महिलाओं में ये दर 5.4 की है।