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सीमांत जिले में गर्मी बढ़ते ही जंगलों की आग बेकाबू होने लगी है। अस्कोट, मुनस्यारी और डीडीहाट के जंगल वनाग्नि की चपेट में हैं। थल के रिगोनिया में दो दिन से जंगल धधक रहा है लेकिन वन विभाग घटना से अनजान है।

अस्कोट के देवल, हिनकोट और खोलियागांव में वनाग्नि से लाखों की वन संपदा जलकर नष्ट हो गईं है।
थल के रिगोनिया में बीते शुक्रवार को जंगल में आग लग गई थी। पूरे दिन-रात जंगल जलता रहा लेकिन वन विभाग को इसकी भनक नहीं लगी। रिगोनिया गांव के ऊपर पहाड़ी पर स्थित जंगल का कुछ हिस्सा डीडीहाट और कुछ हिस्सा मुनस्यारी रेंज में है। दोनों रेंज के वन कर्मी घटना से अनजान हैं और जंगल अब भी सुलग रहा है।
वहीं शनिवार को अस्कोट के देवल, हिनकोट, खोलियागांव के पास जंगल में आग लग गई। कुछ ही देर में वनाग्नि ने जंगलों के बड़े दायरे को अपनी चपेट में ले लिया। सूचना पर वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची।

वन कर्मी आग बुझाने में जुटे रहे लेकिन देर शाम तक भी इसमें सफलता नहीं मिल सकी थी। इन घटनाओं में तीन हेक्टेयर से अधिक जंगल जलकर नष्ट हो गया है।
बारिश पर निर्भर है वन विभाग
फायर सीजन शुरू होते ही वनाग्नि की घटनाएं सामने आईं। जंगलों को आग से सुरक्षित बचाने के दावे करने वाला वन विभाग ऐसा करने में नाकाम साबित हुआ। नतीजतन आठ हेक्टेयर से अधिक जंगल पहले ही वनाग्नि की भेंट चढ़ चुके हैं।

कुछ दिन पूर्व मौसम का साथ मिला और बारिश हुई तो वनाग्नि शांत हुई। बारिश थमते ही गर्मी बढ़ी तो फिर से जंगलों में आग की घटनाएं बढ़ने लगी हैं। ऐसे में साफ है कि वन विभाग जंगल की आग पर काबू पाने के लिए सिर्फ बारिश पर ही निर्भर है।

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