मशीन में खराबी की वजह से रुकी टनल की ड्रिलिंग, मजदूरों के रेस्क्यू का बढ़ा इंतजार
सिलक्यारा टनल हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी।
इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए. टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं।
उत्तरकाशी। उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल (Uttarkashi Tunnel Collapse)में 13 दिन से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का इंतजार और बढ़ गया है. रेस्क्यू ऑपरेशन (Rescue Operations) में लगी टीमों ने अब तक 46.8 मीटर की ड्रिलिंग कर ली है. लेकिन कभी सरिया तो कभी पत्थर मजदूरों (Trapped Workers in Tunnel)तक पहुंचने में बाधा बन रहे हैं. इस बीच ऑगर मशीन में आई खामी के बाद ड्रिलिंग का काम रोकना पड़ा है. करीब 10 से 12 मीटर की ड्रिलिंग अभी बाकी है।
साइट पर मौजूद सीनियर अधिकारियों ने कहा कि टनल में फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचने की समय सीमा बताना मुश्किल है।क्योंकि अप्रत्याशित बाधाओं के कारण काम में देरी हो रही है।
अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को अमेरिकी ऑगर मशीन में आई तकनीकी अड़चन के बाद रूकी ड्रिलिंग 24 घंटे बाद शुक्रवार को फिर शुरू की गयी थी।
दिन में तकनीकी बाधा को दूर करने के बाद 25 टन वजनी भारी ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू की गयी, लेकिन कुछ देर बाद काम रोकना पड़ा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस बार मलबे में 25 मिलीमीटर की सरिया और लोहे के पाइप ड्रिलिंग में बाधा बने हैं. उन्होंने बताया कि ऑगर मशीन को निकालकर गैस कटर से बाधाओं को हटाने का काम किया जा रहा है. मशीन के आगे बार-बार लोहे की चीजें आने से ड्रिलिंग का काम रुक रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने ‘ग्राउंड पेनीट्रेटिंग रडार’ से मिले आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया था कि ड्रिल किए जा चुके सुरंग के रास्ते के पांच मीटर तक मेटल की कोई अड़चन नहीं है. उन्होंने कहा कि ऑगर मशीन में कोई तकनीकी समस्या नहीं है, लेकिन बचावकर्मियों को उस प्लेटफॉर्म को मजबूत करना पड़ा है जिस पर इसे स्थापित किया गया है।
6-6 मीटर के दो पाइप डालने का काम बाकी
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेट्री महमूद अहमद ने शुक्रवार को बताया कि 46.8 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है. 10-12 मीटर की खुदाई बाकी है. टनल में 6-6 मीटर के दो पाइप डालने के बाद ब्रेकथ्रू मिल सकता है. अगर ब्रेकथ्रू नहीं मिला तो तीसरा पाइप डालने की भी तैयारी है।
उन्होंने बताया कि ऑगर मशीन गुरुवार शाम को एक मेटल पाइप से टकरा गई, जो ड्रिलिंग ब्लेड के चारों ओर लिपट गई। इसस मशीन ने काम करना बंद कर दिया. दो एक्सपर्ट की मदद से सरिया काटा गया, जिसके बाद ड्रिलिंग का काम दोबारा शुरू हुआ। बुधवार रात भी ऑगर मशीन के सामने सरिया आ गया था. NDRF की टीम ने रात में ही सरिया काटकर अलग कर दिया था।