हिट एंड रन पर 10 साल, भड़काऊ भाषण पर 5 साल की सजा… पढ़ें- नए क्रिमिनल लॉ बिल की बड़ी बातें
नई दिल्ली। केद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में तीन नए क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा की. इस दौरान भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को ध्वनिमत से मंजूरी मिल गई. अमित शाह ने कहा कि पहली बार आपराधिक न्याय प्रणाली में मानवीय स्पर्श होगा।
लोकसभा में बुधवार को तीन नए आपराधिक कानून पास हो गए. इससे जल्द न्याय मिलने की आस जगी है. भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कई जरुरी प्रावधान किए गए हैं।
इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से लिए गए बयान और रिकॉर्ड को साक्ष्य और दस्तावेज के रूप में शामिल किया गया है. इससे साक्ष्य के तौर पर टेक्नोलॉजी का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा. फ्यूचर के लिए, मोबाइल, कैमरा, सर्वर, आईएमआई, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग आदि का भरपूर इस्तेमाल होगा. साथ ही हिरासत की लिस्ट सभी पुलिस थानों पर रखनी होगी. इसको हर 24 घंटे में अपडेट किया जाएगा. अब जानकारी छुपाने पर थानेदार पर कार्रवाई और प्रमोशन रूक जाएगा।
7 साल से ज्यादा सजा के सभी केस में फोरेंसिक मेंडेटरी
वहीं फोरेंसिक साइंस 7 साल से ज्यादा सजा के सभी केस में मेंडेटरी होगी. बेल, बॉन्ड और टेररिज्म की कानूनी परिभाषा पहली बार दिया गया. अब राजद्रोह की जगह देशद्रोह होगा. किसी भी व्यक्ति के खिलाफ बोलना, लिखना या कहना राजद्रोह की श्रेणी में नहीं आएगा. इसके अलावा पहली बार मॉब लिंचिंग पर मैक्सिमम फांसी की सजा का प्रवधान किया गया है. मॉब लिंचिग को डिफाइन करते हुए कहा गया है कि अगर 5 से ज्यादा लोग गुनाह में शामिल हैं।
45 दिन अंदर लोअर कोर्ट को देना होगा वर्डिक्ट
अब देश द्रोह कर विदेश भागे हुए अब्सकॉन्डर के लिए ट्रायल हो सकेगा. सजायाफ्ता होने के बाद इससे ट्रीटी के जरिए विदेशों से देश में वापस ला पाना आसान होगा. Pocso में 15 को 18 कर दिया गया था मगर सीआरपीसी में फांसी नहीं था. डायरेक्टर ऑफ प्रॉसिक्यूशन, अब पीपी मनमानी कर पायेगा. वहीं कानून से फिलहाल एडल्ट्री को हटा दिया गया है. आईपीसी के धारा 304 के तहत गैर इरादतन मौत पर डॉक्टर को महज 2 साल की सजा होगी बाकि सबको 10 साल की सजा का प्रावधान है. अब केस हियरिंग कंप्लीट होने के बाद 45 दिन अंदर लोअर कोर्ट को वर्डिक्ट देना होगा, उसके 7 दिन के अंदर सजा देना होगा. अब लोअर कोर्ट के वकील को सिर्फ दो ही डेट मिलेगा।
नए बिल में बदलाव की प्रमुख बातें
कंसल्टेशन:
क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के कानूनों में रिफार्म की यह प्रक्रिया 2019 में प्रारंभ की गई थी.
विभिन्न हितधारकों से इस संदर्भ में सुझाव मांगे गए.
2019 को यह गृह मंत्रालय ने इस सुधार प्रक्रिया की शुरुवात की.
गृहमंत्री ने सितम्बर 2019 में सभी राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों, उपराज्यपालों/प्रशासकों को पत्र लिखा.
जनवरी 2020 में भारत के मुख्य न्यायाधीश, हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों, बार काउंसिलों और विधि विश्वविद्यालयों और दिसम्बर 2021 में माननीय संसद सदस्यों से भी सुझाव मांगे गए.
BPRD ने सभी IPS अधिकारियों को सुझाव मांगे.
मार्च 2020 को नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, दिल्ली के कुलपति की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की गई।
इसमें कुल 3200 सुझाव प्राप्त हुए.
18 राज्यों, 06 संघ राज्य क्षेत्रों, भारत के सुप्रीम कोर्ट, 16 उच्च न्यायालयों, 27 न्यायिक अकादमियों- विधि विश्वविद्यालयों, संसद सदस्यों, IPS अधिकारीयों, पुलिस बलों ने भी सुझाव भेजें.
गृह मंत्री ने 150 से ज्यादा बैठकें की. इन सुझावों पर गृह मंत्रालय में गहन विचार-विमर्श किया गया.
परिवर्तन
भारतीय न्याय संहिता-
इसमें 358 धाराएं होंगी (IPC की 511 धाराओं के स्थान पर)
20 नए अपराधों को जोड़ा गया है.
33 अपराधों में कारावास की सजा को बढ़ाया गया है.
83 अपराधों में जुर्माने की सजा राशि को बढ़ाया गया है.
23 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरु की गई है.
6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड शुरु किया गया है.
19 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
इसमें 531 सेक्शन होंगे (CrPC की 484 धाराओं के स्थान पर)
कुल 177 प्रोविजन में बदलाव हुआ है.
9 नए सेक्शन, 39 नए सब-सेक्शन जोड़े गए हैं तथा 44 नए प्रोविजन तथा स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं.
35 सेक्शन में टाइमलाइन जोड़ी गई है.
35 जगह पर ऑडियो-विडियो का प्रावधान जोड़ा गया है.
14 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं.
भारतीय साक्ष्य अधिनियम-
इसमें 170 धाराएं होंगी (मूल 167 धाराओं के स्थान पर)
कुल 24 धाराओं में बदलाव किया गया है,
2 नई धारा, 6 उप-धाराएं जोड़ी गई हैं तथा 6 धाराएं निरस्त/हटा दी गई हैं।
भारतीय न्याय संहिता : प्रमुख फीचर
भारतीय जरूरतों के अनुसार प्रायोरिटी
ब्रिटिश शासन को मानव-वध या महिलाओं पर अत्याचार से महत्त्वपूर्ण राजद्रोह और खजाने की रक्षा थी.
इन तीन कानूनों में महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों, हत्या और राष्ट्र के विरुद्ध अपराधों को प्रमुखता दी गई है.
इन कानूनों की प्रायोरिटी भारतीयों को न्याय देने का है, उनके मानवाधिकारों के रक्षा की है।
महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध
भारतीय न्याय संहिता ने यौन अपराधों से निपटने के लिए ‘महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध’ नामक एक नया अध्याय पेश किया है.
इस विधेयक में 18 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं के बलात्कार से संबंधित प्रोविजन में बदलाव का प्रस्ताव कर रहा है.
नाबालिग महिलाओं के सामूहिक बलात्कार को पॉक्सो के साथ सुसंगत बनाता है.
18 वर्ष से कम आयु की बच्चियों के मामले में आजीवन कारावास या मृत्यु दण्ड का प्रावधान किया गया है.
गैंगरेप के सभी मामलों में 20 साल की सजा या आजीवन कारावास का प्रावधान।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ाना: दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रक्रिया बनाना
क्राइम सीन – इन्वेस्टीगेशन – ट्रायल तक सभी चरणों में टेक्नोलॉजी का उपयोग
पुलिस जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी,
सबूतों की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा विक्टिम और आरोपियों दोनों के अधिकारों की रक्षा होगी.
यह क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.
FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट तथा जजमेंट सभी डिजिटाइज्ड हो जायेंगे.
सभी पुलिस थानों और न्यायालयों द्वारा एक रजिस्टर द्वारा ई-मेल एड्रेस, फोन नंबर अथवा ऐसा कोई अन्य विवरण रखा जाएगा।
एविडेंस, तलाशी व जब्ती में रिकॉर्डिंग
ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य
ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग ‘अविलंब’ मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाए.
फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की आवश्यकता.
पुलिस जांच के दौरान दिए गए किसी भी बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग का विकल्प.
फोरेंसिक
7 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों में ‘फोरेंसिक एक्सपर्ट’ द्वारा क्राइम सीन पर फोरेंसिक एविडेंस कलेक्शन अनिवार्य.
इससे क्वालिटी ऑफ इन्वेस्टीगेशन में सुधार होगा और इन्वेस्टीगेशन साइंटिफिक पद्धति पर आधारित होगी.
100% कन्विक्शन रेट का लक्ष्य.
सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में फोरेंसिक के इस्तेमाल को जरूरी.
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में जरुरी इंफ्रास्ट्रक्चर 5 वर्ष के भीतर तैयार की जानी है।
सर्च और जब्ती
पुलिस द्वारा सर्च और जब्ती की कार्यवाही करने के लिए भी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा.
पुलिस द्वारा सर्च करने की पूरी प्रक्रिया अथवा किसी संपत्ति का अधिगृहण करने में इलेक्ट्रानिक डिवाइस के माध्यम से वीडियोग्राफी.
पुलिस द्वारा ऐसी रिकार्डिंग बिना किसी विलंब के संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजी जाएगी.
पुलिस की जवाबदेही
गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना प्रदर्शित करना: राज्य सरकार को एक पुलिस अधिकारी को नामित करने के लिए अतिरिक्त दायित्व दिया है जो सभी गिरफ्तारियों और गिरफ्तार लोगों के संबंध में जानकारी एकत्र करने के लिए जिम्मेदार होगा. ऐसी जानकारी को प्रत्येक पुलिस स्टेशन और जिला मुख्यालय में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना भी आवश्यक है।
18 वर्ष से कम उम्र की स्त्री के साथ सामूहिक बलात्कार का एक नयी अपराध केटेगरी.
धोखे से यौन संबंध बनाने या विवाह करने के सच्चे इरादे के बिना विवाह करने का वादा करने वाले व्यक्तियों के लिए लक्षित दंड का प्रावधान करता है।
टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को बढ़ाना: दुनिया की सबसे आधुनिक न्याय प्रक्रिया बनाना
क्राइम सीन – इन्वेस्टीगेशन – ट्रायल तक सभी चरणों में टेक्नोलॉजी का उपयोग
पुलिस जांच में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी,
सबूतों की गुणवत्ता में सुधार होगा तथा विक्टिम और आरोपियों दोनों के अधिकारों की रक्षा होगी.
यह क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को आधुनिक बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है.
FIR से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट तथा जजमेंट सभी डिजिटाइज्ड हो जायेंगे.
सभी पुलिस थानों और न्यायालयों द्वारा एक रजिस्टर द्वारा ई-मेल एड्रेस, फोन नंबर अथवा ऐसा कोई अन्य विवरण रखा जाएगा।
एविडेंस, तलाशी व जब्ती में रिकॉर्डिंग
ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य
ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग ‘अविलंब’ मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत की जाए.
फोरेंसिक साक्ष्य एकत्र करने की प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की आवश्यकता.
पुलिस जांच के दौरान दिए गए किसी भी बयान की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग का विकल्प.
फोरेंसिक
7 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले सभी अपराधों में ‘फोरेंसिक एक्सपर्ट’ द्वारा क्राइम सीन पर फोरेंसिक एविडेंस कलेक्शन अनिवार्य.
इससे क्वालिटी ऑफ इन्वेस्टीगेशन में सुधार होगा और इन्वेस्टीगेशन साइंटिफिक पद्धति पर आधारित होगी.
100% कन्विक्शन रेट का लक्ष्य.
सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में फोरेंसिक के इस्तेमाल को जरूरी.
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में जरुरी इंफ्रास्ट्रक्चर 5 वर्ष के भीतर तैयार की जानी है।
सर्च और जब्ती
पुलिस द्वारा सर्च और जब्ती की कार्यवाही करने के लिए भी टेक्नोलॉजी का उपयोग किया जाएगा.
पुलिस द्वारा सर्च करने की पूरी प्रक्रिया अथवा किसी संपत्ति का अधिगृहण करने में इलेक्ट्रानिक डिवाइस के माध्यम से वीडियोग्राफी.
पुलिस द्वारा ऐसी रिकार्डिंग बिना किसी विलंब के संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजी जाएगी।
पुलिस की जवाबदेही
गिरफ्तार व्यक्तियों की सूचना प्रदर्शित करना: राज्य सरकार को एक पुलिस अधिकारी को नामित करने के लिए अतिरिक्त दायित्व दिया है जो सभी गिरफ्तारियों और गिरफ्तार लोगों के संबंध में जानकारी एकत्र करने के लिए जिम्मेदार होगा. ऐसी जानकारी को प्रत्येक पुलिस स्टेशन और जिला मुख्यालय में प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाना भी आवश्यक है।