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उत्तराखंड के उच्च न्यायालय ने हेमवन्ती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के रिक्त पदों में उत्तराखंड के बच्चों को ही प्रवेश दिए जाने के खिलाफ़ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की

रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला

हल्द्वानी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्व विद्यालय के रिक्त पदों में उत्तराखंड के बच्चों को ही प्रवेश दिए जाने के खिलाफ़ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खण्डपीठ ने हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को अगले एकेडमी सत्र वर्ष 2023-24 और 2024-25 में रिक्त सीटों पर प्रवेश दिए जाने के निर्देश दिए है।

पूर्व में कोर्ट ने निर्देश दिए थे कि रिक्त सीटों पर मैरिट के आधार पर छात्रों को प्रवेश दिए जाए ताकि कोई भी छात्र उच्च शिक्षा से बंचित न रह जाए।
आपको बता दे कि देहरादून निवासी रविंद्र जुगरान ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि सरकार द्वारा पोषित हेमवन्ती नन्दन बहुगुणा विश्व विद्यालय की 20 हजार सीटों में से 16 सौ 25 लोगों को ही प्रवेश मिल पाया।

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जिसका मुख्य कारण कॉमन यूनिवर्सिटी इंटरेंस टेस्ट रहा। इस टेस्ट का केंद्र विश्वविद्यालय द्वारा मेरठ रखा गया। जिससे उत्तराखंड के युवा प्रवेश परीक्षा में शामिल नही हो पाए और उनको इसका पता तक नही चला।

जबकि केंद्र सरकार ने विश्वविद्यालय को इसमें छूट देकर कहा था कि इस टेस्ट को कराने की आवश्यकता नही है । इसके बाद भी यह टेस्ट कराया गया और विश्वविद्यालय की हजारों शीटें खाली रह गयी।

400 सीट वाले महिला महाविद्यालयों में तो 2 या 4 छात्रों को एडमिशन दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि सभी छात्रों के भविष्य को देखते हुए विश्व विद्यालय में खाली पड़ी सीटों को भरा जाए ताकि छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य संवार सके।

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