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उत्तराखंड में किसानों, सहकारिता से जुड़े जनप्रतिनिधियों की ट्रेनिंग, स्किल डेवलपमेंट को बनाए गए प्रादेशिक कॉपरेटिव यूनियन(पीसीयू) में करोड़ों की हेराफेरी की गई है। धान खरीद का पैसा अफसरों के टूर, हवाई टिकटों तक पर खर्च हुआ।

करोड़ों के हुए गबन का मामला अब पुलिस जांच तक पहुंच गया है। इस पीसीयू में बोर्ड का गठन होने से पहले जमकर वित्तीय गड़बड़ियां, घपले हुए। किसानों की धान खरीद को बैंकों से ओवरड्रा कर लिए गए पैसे का जमकर दुरुपयोग हुआ।

पीसीयू के गठन के दौरान से शुरू हुए इन घपलों पर बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद से खुलासे शुरू हुए। पीसीयू ने किसानों से धान खरीद का काम अपने हाथ में लिया। धान खरीद केंद्रों से किसानों से धान खरीदा।

धान खरीद को बैंकों से लिए गए पैसे को अफसरों ने दूसरे कामों पर डायवर्ट कर दिया। अफसरों, कॉपरेटिव से जुड़े जनप्रतिनिधियों के टूर, हवाई टिकटों पर पैसा खर्च किया गया। सूत्रों के अनुसार कुछ पैसा अफसरों के निजी खर्चों में भी खपाया गया।

इसके साथ ही किसानों को हुए भुगतान में भी जमकर हेराफेरी हुई। करीब दो करोड़ का किसानों को डबल भुगतान तक कर दिया गया। एक निजी कंपनी के खाते तक में 1.40 करोड़ पैसा डायवर्ट किया गया। इन तमाम मामलों का खुलासा होने के बाद पीसीयू के मैनेजर की सेवाओं को समाप्त कर दिया गया है।

कुछ पैसे की ही रिकवरी हो पाई। शेष पैसे की अभी भी बड़ी संख्या में रिकवरी नहीं हो पाई है। इस पर पीसीयू मैनेजमेंट ने एसएसपी देहरादून को पूरे मामले की जांच के साथ मुकदमा दर्ज करने को पत्र सौंप दिया है। रजिस्ट्रार कॉपरेटिव सोनिका ने बताया कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे कार्रवाई सुनिश्चित कराई जाएगी। एक एक पैसे की भी रिकवरी सुनिश्चित की जाएगी।

डबल भुगतान लेने वाले कई किसान नहीं रहे

बड़ी संख्या में किसानों को डबल भुगतान भी किया गया। हालांकि कई किसानों से रिकवरी हो गई है, लेकिन जिन किसानों का निधन हो गया है, उन मामलों में पैसा फंस गया है। बाकि जिन किसानों ने खाते में आई डबल भुगतान को लौटाया नहीं है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की तैयारी है। टूर एंड ट्रेवल कारोबार से जुड़ी एक कंपनी 1.40 करोड़ का भुगतान किया गया था, इसमें से सिर्फ 55 लाख की ही रिकवरी हो पाई है। 85 लाख अभी भी बाकि है।

घपले की जांच को टीम गठित, कई लोग रडार पर

इस पूरे घपले की जांच को तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन हो गया है। अपर निबंधक ईरा उप्रेती, संयुक्त निबंधक मंगला प्रसाद त्रिपाठी, सहायक निबंधक राजेश चौहान को जांच सौंपी गई है।

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