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उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गाड़ियों के ओवर स्पीड से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की

रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला

नैनीताल। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने गाड़ियों की ओवर स्पीड से हो रही दुर्घटनाओं को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते कोर्ट की खण्डपीठ ने मामले को अति गम्भीर पाते हुए आईजी ट्रैफिक गढ़वाल से 20 फरवरी को कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा है।

कोर्ट ने यह भी पूछा है कि जब वाहन ओवर स्पीड में चल रहा है तो रोड में क्या ऐसे सेंसर लगाए जा सकते है जिसकी सूचना वाहन चालक के परिजनों व सम्बंधित थाने को मिल सके और थाना उसका चालान कर सके। इसपर अपने सुझाव 20 फरवरी को कोर्ट में दें।
आपकों बता दे कि उच्च न्यायलय के अधिवक्ता ललित मिगलानी ने जनहित याचिका दायर कर कहा है। आये दिन 18 से 25 साल के नौजवान ओवर स्पीड में वाहन चलाने से मौत का कारण बन रहे है।

आजकल वाहनों में कई तरह के फीचर आ गए है। जिसकी जानकारी उन्हें नही होती है। वर्तमान में नौजवान स्पोर्ट मोड़ पर वाहन चला रहे जिसकी वजह वे हादसे का शिकार हो रहे है। स्पोर्ट मोड़ में वाहन चलाने लायक प्रदेश की रोड़ें उस लायक नही है ,क्योंकि यह पहाड़ी राज्य है।

रोड़ें संकरी व घुमाऊदार है। ऊपर से नौजवान ऐल्कॉहॉलिक स्थिति में वाहन चला रहे है। इसलिए 1000 से 2000 सीसी की गाड़ी चलाने के लिए उनकी उम्र 25 साल निर्धारित की जाय। जैसे कि 16 से 18 वर्ष के युवकों के लिए 150 सीसी तक वाहन चलाने का प्रावधान निर्धारित किया है।

ठीक उसी प्रकार बडे वाहन चलाने के लिए उम्र 25 वर्ष निर्धारित की जाय। वर्तमान में जो भी हादसे हो रहे है 18 से 25 साल के युवकों के ओवर स्पीड वाहन चलाने के कारण हो रहे है। इसलिए राज्य सरकार बड़े वाहन चलाने के लिए उम्र का निर्धारण करे।

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