उत्तराखंड की खूबसूरत वादियों में शीतकालीन पर्यटन को नई पहचान देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुखवा और हर्षिल से जोरदार शुरुआत की है। एक दिन की यात्रा पर उत्तरकाशी पहुंचे प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड को सर्दियों में पर्यटन और तीर्थाटन का आकर्षक केंद्र बनाने की अपील की।
उन्होंने कॉरपोरेट जगत, फिल्म इंडस्ट्री, योग साधकों और युवाओं को सर्दियों में देवभूमि की सैर करने का न्योता दिया।
प्रधानमंत्री ने उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन को ‘घाम तापो पर्यटन’ (Gham Tapo Tourism) के रूप में ब्रांडिंग की। हर्षिल में जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह धरती आध्यात्मिक शक्ति से भरी है।
हाल ही में माणा में हुए हिमस्खलन में जान गंवाने वालों के प्रति संवेदना जताने के बाद उन्होंने कहा, “मां गंगा के शीतकालीन गद्दी स्थल मुखवा में अपने परिवारजनों के बीच आकर मैं धन्य महसूस कर रहा हूं।” उन्होंने मां गंगा के आशीर्वाद से उत्तराखंड और काशी की सेवा करने का मौका मिलने की बात कही।
उत्तराखंड का दशक बनने की राह पर
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ साल पहले बाबा केदार के दर्शन के दौरान उनके मन में यह भाव आया था कि यह दशक उत्तराखंड का होगा। आज बाबा के आशीर्वाद से यह सच होता दिख रहा है। उत्तराखंड नई ऊंचाइयों को छू रहा है और पर्यटन के क्षेत्र में बारामासी गतिविधियां (Year-Round Tourism) इसे और मजबूत करेंगी। उन्होंने हर्षिल की धरती से अपनी ‘दीदी भुलियों’ को भी याद किया, जो उन्हें स्थानीय राजमा और उत्पाद भेजती हैं।
शीतकालीन पर्यटन को CM की पहल की तारीफ
प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की शीतकालीन तीर्थाटन और पर्यटन की पहल को सराहा। उन्होंने कहा, “उत्तराखंड में 365 दिन पर्यटन जरूरी है। सर्दियों में खाली पड़े होटल और होम स्टे अब पर्यटकों से गुलजार होंगे।” उनका मानना है कि सर्दियों में ट्रैकिंग, स्कीइंग जैसी गतिविधियां और धार्मिक अनुष्ठान पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। इससे स्थानीय रोजगार (Local Employment) को भी बढ़ावा मिलेगा।
डबल इंजन सरकार का योगदान
प्रधानमंत्री ने कहा कि डबल इंजन की सरकार उत्तराखंड को विकसित बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। चारधाम यात्रा, ऑल वेदर रोड, रेलवे और हेली सेवाओं का विस्तार इसकी मिसाल है। हाल ही में केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के लिए रोपवे को मंजूरी दी गई है, जिससे यात्रा आसान होगी।
सीमांत गांवों का विकास
उन्होंने बताया कि 2014 से पहले चारधाम यात्रा पर 18 लाख यात्री आते थे, जो अब 50 लाख से अधिक हो गए हैं। सीमांत गांवों को ‘पहला गांव’ कहकर वाइब्रेंट विलेज योजना के तहत विकसित किया जा रहा है। जादुंग जैसे गांव, जो 1962 के युद्ध में खाली हो गए थे, अब फिर से बसाए जा रहे हैं।
‘घाम तापो पर्यटन’ का आह्वान
प्रधानमंत्री ने युवाओं, कॉरपोरेट्स और फिल्म इंडस्ट्री से सर्दियों में उत्तराखंड आने की अपील की। उन्होंने कहा, “यहां शादी और फिल्म शूटिंग के लिए बेहतरीन मौके हैं। योग और आयुर्वेद से भी लोग खुद को रिचार्ज कर सकते हैं।” कंटेंट क्रिएटर्स से भी शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने में योगदान देने को कहा।