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गोपाष्टमी का पर्व आज, इस दिन गायों का दर्शन और पूजन करना होता है शुभ

संपूर्ण ब्रह्मांड के तैतीस कोटि देवताओं का वास गौ माता के स्वरूप में!

गाय की पूजा करने से सुख-समृद्धि और सौभाग्य की होती है प्राप्ति!

20 नवंबर (सोमवार) को गोपाष्टमी पर्व

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व मनाया जाता है। जैसा कि नाम से ही प्रतीत होता है ये गाय की पूजा और प्रार्थना करने के लिए समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व दिवस है।

शहर से सटे गांव गोसांईपुर में स्थित बावा लाल दयाल मंदिर के संचालक एवं सनातन रक्षा समिति पंजाब के अध्यक्ष धर्माचार्य पंडित रमेश शास्त्री जी महाराज ने बताया कि इस दिन गौ माता की पूजा अर्चना की जाती है।

द्वापर युग से चला आ रहा यह पर्व इस बार 20 नवंबर सोमवार को मनाया जायेगा। मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तिथि तक भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी उंगली पर गोवर्धन पर्वत धारण किया था। 8वें दिन अष्टमी तिथि को स्वर्ग का राजा इन्द्र अपना अहंकार त्यागकर भगवान श्रीकृष्ण के पास क्षमा याचना के लिए आए थे।

तभी से कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन गोपाष्टमी का उत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। धर्माचार्य रमेश शास्त्री जी महाराज ने बताया कि गाय को हमारी सनातन संस्कृति में पवित्र माना जाता है।

श्रीमद्भागवत महापुराण में वर्णन मिलता है कि जब देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन किया गया था तो उसमें चौदह रत्नों के साथ कामधेनु भी निकली थी। पवित्र होने की वजह से इसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया था। मान्यता है कि कि कामधेनु से ही अन्य समस्त गायों की उत्पत्ति हुई।

श्रीमद्भागवत महापुराण में इस बात का भी वर्णन है कि भगवान श्रीकृष्ण भी स्वयं गायों की सेवा करते हुए अनन्य प्रेम करते थे। धर्माचार्य रमेश शास्त्री जी महाराज ने बताया कि श्रद्धावान मनुष्य गोपाष्टमी के पर्व दिवस पर व्रत रखते हैं।

गोमाता को समर्पित इस पर्व में गायों की पूजा-अर्चना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गौ दर्शन, पूजन, सेवा आदि करने से अनन्त गुणा फल की प्राप्ति होती है।

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