सिलक्यारा में बचाव अभियान को 16वें दिन मिली बड़ी कामयाबी
सिलक्यारा सुरंग में मैनुअल खुदाई शुरू
उत्तरकाशी। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए चल रहे बचाव अभियान में 16वें दिन बड़ी कामयाबी मिली। सोमवार को मलबे में फंसी ऑगर मशीन के हेड को निकालने के बाद मैनुअल खुदाई का काम शुरू हो गया है।
रेस्क्यू टीम 800 एमएम के पाइप को लगभग डेढ़ मीटर और अंदर पुश कर चुकी है। वहीं सुरंग में ऊपर से ड्रिलिंग का काम सोमवार को बोल्डर आने के कारण प्रभावित होता रहा।
मंगलवार देर शाम उत्तराखंड सरकार के सचिव एवं रेस्क्यू ऑपरेशन के नोडल अफसर डॉ. नीरज खैरवाल ने बताया कि तड़के लगभग चार बजे ऑगर मशीन काट कर बाहर निकाल दी गई थी, लेकिन मशीन हेड लगभग 1.9 मीटर हिस्सा मलबा में फंसा हुआ था। इसमें एक मीटर 800 एमएम का पाइप भी शशामिल था।
लगभग 13 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद सोमवार देर शाम इसे भी काट कर बाहर निकाल लिया गया। इसके बाद सुरंग में मैनुअल काम शुरू हुआ। रेस्क्यू टीम रात तक पुश कर लगभग डेढ़ मीटर पाइप और अंदर भेज चुकी थी।
अब मलबे में 800 एमएम की लगभग 50 मीटर पाइप टनल बना ली गई है। टनल में 55 से 58 मीटर तक मलमा होने की बात कही गई इस हिसाब से आकलन है कि मलबे में महज पांच से आठ
1.5 मीटर और अंदर भेजा गया पाइप 50 मीटर पाइप अब तक जा चुका है मलबे के भीतर सिलदारा सुरंग में फंसे ऑगर मशीन के हेड को बड़ी मुश्किल से काटकर निकाला गया। न्सुरंग के ऊपर से ड्रिलिंग में रात को फिर आई बाधा बचाव दल ने रविवार को टनल के दो तरफ से रेस्क्यू ऑपरेशन तेजी से शुरू किया था।
टनल के ठीक ऊपर से (वर्टिकल) ड्रिल कर रविवार को 19.2 मीटर लंबा एवं एक मीटर चौड़ा पाइप डाल दिया था। सोमवार दोपहर एक बजे तक 30 मीटर पाइप जाने के बाद कठोर चट्टान आने से काम बीच में थम गया था।
चट्टान को काटकर देर शाम तक 36 मीटर पादप अंदर जा चुका था। वहीं सोमवार रात लगभग नौ बजे फिर से जमीन के अंदर बट्टान आने के कारण ड्रिलिंग रुक गई। वर्टिकल ड्रिल से करीब 86 मीटर पाइप भेजा जाना है। इस पाइप की चौड़ाई एक मीटर है।
मीटर मैनुअल ड्रिलिंग करनी होगी। यदि आगे अवरोध नहीं मिलता है तो मंगलवार तक मलबे को आर-पार कर पादप टनल तैयार हो सकती है।
पानी का रिसाव और चट्टान बाधाः सुरंग के ऊपर पहाड़ी से ड्रिलिंग के दौरान पानी का रिसाव हो रहा है। भीतर चट्टान भी बाधा बन रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय के अपर
सचिव महमूद अहमद ने बताया कि पानी का रिसाव इतना नहीं है कि उसमें काम करना मुश्किल हो। एक्सपर्ट बाधा को पार कर रहे हैं। टनल के ऊपर से चट्टान का स्टेट्स का पता लगाने के लिए ट्रायल बोर भी हो रहा है। यह 75 मीटर हो चुका है। इसे 170 मीटर तक ड्रिल होना है।