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हल्द्वानी में छठ पर्व मनाया गया धूमधाम,संस्कृति और प्रकृति की आराधना का अद्भुत संगम

हल्द्वानी। भारतीय संस्कृति के पर्वों में छठ पूजा वह अनूठा पर्व है। जिसमें पौराणिकता, धार्मिकता, लोक संस्कृति और प्रकृति की आराधना का अद्भुत संगम दिखाई देता है।

यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि लोक जीवन का उत्सव है। यह एक ऐसा पर्व है जिसमें धरती, जल, सूर्य और वायु सबको समान रूप से पूजनीय मानकर मनुष्य अपनी जड़ों से जुड़ता है।

यह हमारे समाज का वह जीवंत उत्सव है, जो गांवों की माटी, माँ की गोद, घाटों की गूंज और गीतों की मिठास में बसता है।

छठ पूजा में सूर्य देव को जीवन, ऊर्जा और स्वास्थ्य का स्रोत माना गया है। ऐसा विश्वास है कि सूर्य की किरणें जब अर्घ्य के जल से होकर भक्तों के शरीर पर पड़ती हैं, तो मन-तन शुद्ध होता है और रोग दूर होते हैं।

सूर्य देव के साथ उनकी पत्नी उषा (छठी मइया) की भी पूजा की जाती है, जो आरोग्य, संतान-सुख और समृद्धि प्रदान करती हैं। लोक परंपरा में छठी मइया को संतान की रक्षक देवी माना गया है।

माना जाता है कि वे बच्चों के जीवन की रक्षा करती हैं और संतान-सुख का वरदान देती हैं।इसलिए यह व्रत विशेष रूप से महिलाएँ संतान की दीर्घायु और परिवार की समृद्धि के लिए रखती हैं।

छठ पूजा का उल्लेख ऋग्वेद, महाभारत और रामायण में भी मिलता है।रामायण में श्रीराम और सीता जी ने लंका विजय के बाद अयोध्या लौटकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्य देव की पूजा की थी।

महाभारत में: कर्ण सूर्य का अनन्य भक्त था और उसने भी सूर्य की उपासना इसी विधि से की थी। हल्द्वानी मे भी इस वर्ष छठ पूजा का भव्य आयोजन 25 अक्टूबर से शुरू होकर 28 अक्टूबर तक श्रद्धा पूर्वक मनाया गया।

जहाँ कल छठ पर्व के तीसरे दिन महिलाओ ने सांध्य अर्घ्य डूबते सूर्य को नदी/घाट पर अर्घ्य दिया जहाँ महिलाये अपने पारम्परिक परिधानो मे पूजन स्थल पर पहुंची और स्थापित वेदियों का पूजन किया वही आज उषा अर्घ्य यानि उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का का समापन किया गया।

आयोजन समिति ने छठ मैया सफल आयोजन के लिए सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए प्रसाद वितरण के साथ छठ पूजा उत्सव के समापन की घोषणा की गयी।

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