AI इंजीनियर के सुसाइड बाद पुरुष आयोग बनाने की मांग, कानून का गलत प्रयोग कर पुरुषों को फंसा रही हैं महिलाएं
हल्द्वानी। बेंगलुरु में इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या से पूरे देश मे आक्रोश है तो वहीं आज हल्द्वानी में एक समाज श्रेष्ठ समाज संस्था ने प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजते हुए पुरुष आयोग और पुरुष कल्याण मंत्रालय बनाए जाने की मांग की है।
सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन देते हुए एक सामाजिक लोगों ने कहा कि अब वह दौर आ गया है जब महिलाएं महिला कानून का गलत फायदा उठाकर पुरुषों का उत्पीड़न कर रही है।
अतुल सुभाष जैसे होनहार इंजीनियर को देश ने खोया है जिसका सभी को बहुत बड़ा गम है। ऐसे में निर्दोष पुरुषों के लिए भी केंद्र सरकार को सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हालिया बेंगलुरु में इंजीनियर से द्वारा की गई आत्महत्या के बाद अब बेहद आवश्यक हो गया है की पुरुष आयोग या पुरुष कल्याण मंत्रालय बनाया जाना चाहिए।
अकेले अतुल सुभाष ही महिलाओं के लिए बनाए गए कानून का शिकार नही हैं। बल्कि कई लाखों युवाओं का भविष्य महिला कानून का दुरुपयोग कर बर्बाद कर दिया गया है।
5-6 वर्ष पहले की बात करे तो बिहार कैडर के आईएएस ने दिल्ली में आकर ट्रेन के आगे लेट कर आत्महत्या कर ली थी। जिसमें आईएएस अधिकारी द्वारा पत्नी व ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ना के आरोप लगाए गये थे।
जिसके चलते तनाव में आकर आईएएस अधिकारी ने ट्रेन के आगे लेट कर आत्महत्या कर ली थी।
कई ऐसी अनगिनत लाखों युवाओं का भविष्य दहेज एक्ट के कानूनों का दुरुपयोग कर बर्बाद किया जा रहा है।
नैनीताल जिले के युवाओं का दर्द
नैनीताल जिले के कई ने युवाओं ने नाम नहीं बताने की शर्त पर बताया कि कई लड़कियों का अफेयर शादी से पहले कई लड़कों से हुआ करता है। घर वालों के दबाव में शादी किसी और से करती हैं।
फिर ससुराल रास नहीं आने पर ससुराल वालों को झूठे दहेज एक्ट के मुकदमे में फंसाती हैं। जिसमें लड़के के पूरे परिवार को कोर्ट कचहरी से लेकर बदनामी तक का दंस झेलना पड़ता है।
कई युवाओं ने यहां तक भी बताया कि हिंदू धर्म मे अपरिचित लड़के लड़कियों की शादी होती है।
कई ऐसे मामले लड़कों के साथ आ चुके हैं कि लड़की के मां-बाप और भाइयों ने मंदबुद्धि, मानसिक रूप से कमजोर और अपरिपक्व, बीमार, व कई अन्य बीमारियां ग्रसित लड़कियों की शादी लड़कों से कर दी गई। जिन्हें शादी जैसे पवित्र रिश्ते के बारे में पता नहीं होता है।
लड़की के परिवारजन तो लड़की की शादी लड़के से कर अपना छुटकारा पा लेते हैं
लेकिन मानसिक रूप से बीमार व कई अन्य जन्मजात बीमारियों से ग्रसित लडकियां ससुराल मे आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती है। इसका खामियाजा युवा लड़कों और उसके परिजनों को उठाना पड़ता है।
कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने अपनी आपबीती बताते हुए बताया कि हमारे साथ ऐसी लड़की की शादी कर दी गई की जिसे शादी जैसी पवित्र बंधन का का पता नहीं। महिला व पुरुष के रिश्ते के बारे में पता नहीं। सुहागरात क्या होती है उसके बारे में पता नहीं।यह सब बातें लड़की की भाभी को भी पता थी।
कई मामले तो नंद व भाभी की आपसी लड़ाई व ईर्ष्या में, भाभी ने मानसिक तौर पर अपरिपक्व नंद को आत्महत्या जैसे कदम के लिए उकसाया।
झूठा मकदमा लड़के व उसके परिजनों पर कर दिया। लड़के ने बताया कि पत्नी जन्मजात बीमारी व मानसिक रूप से अपरिपक्व थी। भाभी के उकसावे पर ही उसने आत्मघाती जैसा कदम उठया।
शादी के बाद लड़की के परिजनों खास तर पर माताएं बहने व भाभियों द्वारा उन्हें गलत तरीके से उकसाया व भड़काया गया जिसे उन्होंने आत्मघाती कदम उठाया। जिसकी प्रमाण उनके पास मौजूद हैं।
उसके बावजूद भी लड़की के परिजनों द्वारा झूठ दहेज एक्ट का मुक़दमा दर्ज किया गया। जिससे लड़के व उनके परिजनों को दहेज एक्ट में फंसा कर उन्हें बदनाम व बर्बाद करने की उद्देश्य से झूठ दहेज एक्ट का मुक़दमा किया गया।जिसका दंश वह कई सालों से झेलते आ रहे हैं।
दहेज एक्ट का दंश झेल रहे युवा ने बताया कि दहेज एक्टमे मैं निरुद्ध होने के बाद उन्हें बड़े पैमाने पर कोर्ट कोर्ट कचहरी थानों व जेलों व्याप्त भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा।
उक्त युवा ने यहां तक बताया कि आज के समय में वकील भी भरोसे करने लायक नहीं रह गए हैं कि वह आपका सही तरीके से केस लड़े।
उन्होंने यहां तक बताया कि वकील भी भरोसे लाइक नहीं रहे हैं। उन्होंने बताया की केस लड़ने की रकम से भी ज्यादा रकम देने के बावजूद भी वकील उनके पास मौजूद दस्तावेजों को जज की चेंबर में देने के बावजूद कोर्ट मे पेश नहीं किए।
इससे पता चलता है ह कि आज कई वकील धन ऐंठने वह गुमराह करने के लिए कार्य कर रहे हैं उन्हें न्याय दिलाने से कोई मतलब नहीं है। धन के लालच में कई वकील युवाओं की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे है।
युवाओं का भविष्य बर्बाद करने में वकील भी पीछे नहीं है उनका एकमात्र मकसद धन कमाना और दूसरे पक्ष से मिलकर धन कमाना, क्लाइंट को झूठे आश्वासन व गुमराह करना है जिससे पीड़ित कोर्ट के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
इससे पता चलता है कि न्यायपालिका मैं कार्यरत कर्मचारी व वकीलों की मिलीं भगत से भ्रष्टाचार व्याप्त है।
उन्होंने बताया कि मौजूदा कानून झूठी गवाही और गढ़ी हुई कहानियों पर टिके हुए हैं जिसका खामियाजा युवाओं को कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाकर कई सालों तक झेलना पड़ता है।
कई महिलाओं द्वारा युवाओं को झूठे दहेज एक्ट मुकदमे दायर कर मानसिक तौर पर प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा।
जिससे कई युवा मानसिक रूप से परेशान होकर अपनी जान से हाथ धो बैठे हैं।