उत्तराखंड हाईकोर्ट ने फायर सीजन में प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग पर स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका सहित कई अन्य जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।
रिपोर्टर गुड्डू सिंह ठठोला
नैनीताल। उत्तराखंड हाइकोर्ट ने फायर सीजन में प्रदेश के जंगलों में लगने वाली आग पर स्वतः संज्ञान लिए जाने वाली जनहित याचिका सहित कई अन्य जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की।
मामले की सुनवाई पर पूर्व के आदेश पर आज पीसीसीएफ धनंजय मोहन कोर्ट में व्यक्तिगत रूप से पेश हुए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उनसे आग पर काबू पाने के लिए एक पूरा प्लान कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा है।
साथ मे कोर्ट ने पीसीसीएफ व याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं से भी इस समस्या का समाधान करने के लिए अपने अपने सुझाव प्रस्तुत करने को कहा है। सुनवाई पर कोर्ट ने कहा कि फायर सीजन प्रारम्भ होने से पहले ही फायर लाइन बनाई जायँ।
आग की छोटी छोटी घटनाओ की समस्या को ड्रोन के माध्यम से निपटाया जाय, जहाँ जहाँ आग लग रही है उसकी जानकारी सैटेलाइट से लेकर सम्बंधित क्षेत्र को भेजा जाय।
पर्यावरण को बचाने के लिए स्थानीय लोगों की मदद भी ली जाय। क्योंकि स्थानीय लोग को ही अपने क्षेत्र की भगोलिक जानकारी अधिक होती है।
कोर्ट ने जंगलों में लगने वाली आग पर काबू पाने के लिए जो पीसीसीएफ ने कदम उठाए हैं उनकी भी सराहना की।
पीसीसीएफ ने कोर्ट को अवगत कराया कि कोर्ट के दिशानिर्देश पर वन विभाग ने अभी कई सौ किलोमीटर तक की फायर लाईन बना दी है।
फायर लाईन बनाने के लिए 14 हजार 800 रेक्स फायर कर्मचारियों को दे दिये हैं,आग लगने की जानकारी प्राप्त करने के लिए विभाग ने फारेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से सैटेलाइट की मदद मांगी है।
जिससे उन्हें आग लगने की जानकारी शिघ्र मिल सके। आग बुझाने के लिए विभाग ने लगभग 10 हजार श्रमिक दैनिक मजदूरी पर तैनात किए है। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट ने 3 मार्च की तिथि नियत की है।
आपकों बता दे कि कोर्ट ने वर्ष 2021 में मुख्य समाचार पत्रों में प्रकाशित आग की खबरों पर स्वतः संज्ञान लिया था। यही नही राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने भी इसपर काबू पाने के लिए मुख्य न्यायधीश को पत्र भेजा था।
जिसमें कहा था कि वन , वन्यजीव व पर्यावरण को बचाने के लिए उच्च न्यायलय राज्य को दिशा निर्देश जारी करें। कोर्ट ने इनका संज्ञान लेकर कई दिशा निर्देश राज्य सरकार को जारी किए थे ।
लेकिन अभी तक उन आदेशों का सही तरह से अनुपालन नही होने पर कोर्ट ने इस मामले को पुनः सुनवाई के लिए आज सूचिबद्ध किया। जबकि हाइकोर्ट ने 2016 में भी जंगलो को आग से बचाने के लिए गाइड लाइन जारी की थी ।
कोर्ट अपने दिशानिर्देशों में कहा था कि गांव स्तर से ही आग बुझाने के लिए कमेटियां गठित किए जायँ। नागरिकों में जागरूकता अपनाई जाने के साथ साथ अन्य कई निर्देश दिए थे। जिस पर आज तक अमल नही किया गया।
न्यायमित्र मैनाली ने कहा कि सरकार जहां आग बुझाने के लिए हेलीकाप्टर का उपयोग कर रही है उसका खर्चा बहुत अधिक है और पूरी तरह से आग भी नही बुझती है।
इसके बजाय गाँव स्तर पर कमेटियां गठित की जाय। उन्हें इसके दुष्परिणाम के बारे बताया जायँ।अभी तक उस आदेश का अनुपालन तक नही हुआ।