नई दिल्ली। सरकार ने महज साढ़े 8 महीने में ही बंपर इनकम टैक्स की वसूली कर डाली. खास बात ये रही कि डायरेक्ट टैक्स की वसूली में कॉरपोरेट जगत यानी कंपनियों और उद्यमियों से ज्यादा हिस्सा आम आदमी का रहा है।
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अब तक यानी 17 दिसंबर तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह सालाना आधार पर 16.45 प्रतिशत बढ़कर 15.82 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा है।
आंकड़ों के मुताबिक, वित्तवर्ष 2024-25 में अप्रैल से लेकर 17 दिसंबर तक प्रत्यक्ष कर का कुल संग्रह 15.82 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले करीब साढ़े 16 फीसदी ज्यादा है।
इतना ही नहीं इस दौरान अग्रिम कर संग्रह में भी सालाना आधार पर 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 7.56 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया है।
कुल कर संग्रह में 7.42 लाख करोड़ रुपये से अधिक का हिस्सा कॉरपोरेट जगत का और 7.97 लाख करोड़ रुपये का हिस्सा गैर-कॉरपोरेट यानी व्यक्तिगत करदाताओं का रहा है।
इस दौरान सरकार ने सिक्योरिटीज में लेनदेन करने वालों से भी 40,114 करोड़ रुपये की वसूली कर डाली. प्रत्यक्ष कर संग्रह में कॉरपोरेट टैक्स, व्यक्तिगत आयकर और एसटीटी शामिल होते हैं।
3.39 लाख करोड़ के रिफंड दिए
सरकार की कुल टैक्स वसूली के बाद रिफंड भी खूब जारी किए गए. चालू वित्तवर्ष में अप्रैल से 17 दिसंबर तक सरकार ने 3.39 लाख करोड़ रुपये के टैक्स रिफंड जारी कर दिए हैं, जो सालाना आधार पर 42.49 प्रतिशत अधिक है. कुल प्रत्यक्ष कर संग्रह 19.21 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो एक साल पहले की समान अवधि के संग्रह की तुलना में 20.32 प्रतिशत अधिक है।
सरकार 2 तरह से टैक्स वसूलती है. इसमें एक प्रत्यक्ष कर है और दूसरा अप्रत्यक्ष कर. प्रत्यक्ष कर सीधे कमाई पर लगाया जाता है. यह कमाई चाहे आम आदमी ने की हो या फिर कंपनियों ने. कंपनियों को भी अपने मुनाफे पर टैक्स देना पड़ता है, जबकि आम आदमी को सैलरी या प्रोफेशनल फीस के रूप में हुई कमाई पर टैक्स देना होता है।
इसी तरह, जीएसटी के रूप में सरकार प्रोडक्ट और सर्विसेज पर टैक्स वसूलती है जिसे अप्रत्यक्ष कर कहते हैं।