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निवेशकों के लिए आज ‘ब्लैक मंडे, डूब गए करोड़ों रुपए, शेयर बाजार में बड़ी गिरावट

ट्रंप के टैरिफ की मार से याद आया ब्लैक मंडे, शेयर बाजार के सबसे बुरे दिन का क्यों इतना खौफ

आज भारतीय शेयर बाजार में एक ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिली, जिसे अब तक की सबसे बड़ी गेप डाउन ओपनिंग कहा जा सकता है। बाजार ने रिकॉर्ड गिरावट के साथ खुलकर निवेशकों को बड़ा झटका दिया।

5 ट्रिलियन डॉलर डूबे

हांगकांग के बााजर में करीब 10% की गिरावट देखने को मिली है। चीन का शंघाई 5% दबाव के साथ खुला है। इसी तरह, सिंगापुर, ताइवान और जापान के बाजारों ने भी बड़ी गिरावट का सामना किया है। जापान के निक्केई को करीब 6% का नुकसान हुआ है। दूसरी तरफ, अमेरिकी बाजार की बात करें, डाओ फ्यूचर्स 1000 अंक गिरा, जबकि एसएंडपी फ्यूचर्स और नैस्डैक फ्यूचर्स 3% लुढ़क गए। इस गिरावट से अमेरिकी निवेशकों के 5 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 420 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान उठाना पड़ा है।

भविष्य को लेकर चिंता बढ़ी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि टैरिफ के चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी और इसका कॉर्पोरेट अर्निंग पर असर पड़ेगा। इस आशंका से निवेशक घबरा गए हैं। इसलिए वे बिकवाली पर अधिक जोर दे रहे हैं, जिससे बाजार गिर रहा है। उनके अनुसार, एशिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका को आयात पर काफी ज्यादा निर्भर हैं। ऐसे में टैरिफ से उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि बाजार की गिरावट दर्शाती है कि निवेशक इंटरनेशनल ट्रेड के भविष्य को लेकर कितने चिंतित हैं।

ट्रंप की ओर से टैरिफ के ऐलान ने दुनियाभर के बाजारों में कोहराम मचा दिया है. घरेलू शेयर बाजार में ऐतिहासिक गिरावट देखने को मिल रही है. आज बाजार के लिए ब्लैक मंडे साबित हो रहा है।

निफ्टी जहां 1100 अंकों की गिरावट के साथ 21,800 के लेवल पर पहुंच गया था. वहीं, सेंसेक्स 3300 अंकों से ज्यादा की गिरावट के साथ 71,900 के आसपास चल रहा था. बैंक निफ्टी में करीब 2000 अंकों की गिरावट आई थी।

निफ्टी और सेंसेक्स दोनों प्रमुख सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे बाजार में जबरदस्त उतार-चढ़ाव आया। आज भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों के लिए ‘ब्लैक मंडे’ कहा जा रहा है। प्रमुख सूचकांकों में रिकॉर्ड गिरावट आई, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। निफ्टी में 1154 अंकों की गिरावट के साथ 21,750 पर कारोबार कर रहा है, जबकि सेंसेक्स 3,851 अंकों की गिरावट के साथ 71,512 के स्तर पर पहुंच गया है। ऐसे ही शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 30 पैसे गिरकर 85.74 डॉलर पर आ गया।

विशेषज्ञों के अनुसार, इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी बाजारों में अस्थिरता, वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका और घरेलू बाजार में असमंजस की स्थिति है। इसके अलावा, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा लगातार बिकवाली और घरेलू आर्थिक संकेतक भी चिंता का कारण बने हैं।

दुनियाभर के शेयर बाजारों में भारी बिकवाली, भारत में भी मंदी की आहट

आज दुनियाभर के शेयर बाजारों में एक बड़ी बिकवाली देखी जा रही है। अमेरिकी बाजारों में एसएंडपी 500 वायदा कारोबार 4.31 प्रतिशत गिर गया, जबकि नैस्डैक वायदा 5.45 प्रतिशत नीचे आ गया है। जापान का निक्केई इंडेक्स 7.8 प्रतिशत गिरकर 2023 के निचले स्तर पर पहुंच गया है। दक्षिण कोरिया के बाजारों में 4.6 प्रतिशत की गिरावट आई है, जबकि हांगकांग का हैंग सेंग इंडेक्स और ताइवानी बेंचमार्क 10 प्रतिशत तक नीचे चले गए हैं।

क्या है गिरावट की वजह?

इस भारी गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कई देशों पर लगाए गए भारी टैरिफ हैं। इन टैरिफ की वजह से कई देशों ने अमेरिका पर जवाबी टैरिफ बढ़ा दिए हैं, जिसमें चीन और कनाडा जैसे प्रमुख देशों का नाम शामिल है। इस ट्रेड वॉर के बढ़ने की आशंका ने वैश्विक महंगाई और मंदी के खतरे को बढ़ा दिया है, जिससे बाजार में अस्थिरता बढ़ी है और निवेशक बिकवाली कर रहे हैं।

सबसे बड़ी शेयर बाजार गिरावट: ब्लैक मंडे के दिन डाउ जोन्स 508 पॉइंट्स गिरकर 1,738.74 पर बंद हुआ, जो कि करीब 22.की गिरावट थी. जो कि अब तक की एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है।

पहला ग्लोबल मार्केट क्रैश: S&P 500 भी 20.47% गिरकर 230.30 पर आ गया था. यह पहला मौका था जब एक देश में हुई गिरावट ने पूरी दुनिया के बाजारों को प्रभावित किया. हॉन्गकॉन्ग में हैंग सेंग इंडेक्स 45.8%, न्यूजीलैंड में 60%, और यूके के FTSE 100 में 26.5% की गिरावट आई. इसे “पहला ग्लोबल मार्केट क्रैश” कहा गया।

वैश्विक नुकसान: इस क्रैश ने वैश्विक स्तर पर 1.71 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान किया. बड़े से लेकर छोटा हर निवेशक पर इसकी मार पड़ी।

किस वजह से शेयर बाजार में आया ब्लैक मंडे: इस गिरावट के कई कारण थे. जैसे कि बाजार का ओवरवैल्यूएशन, कंप्यूटराइज्ड ट्रेडिंग, निवेशकों का डर, और लिक्विडिटी संकट. मार्जिन कॉल्स और ट्रेडिंग सिस्टम का ठप होना भी बड़ा कारण था।

भारत पर ब्लैक मंडे का कितना असर था: भारत का सेंसेक्स उस समय 2.5% गिरा, जो वैश्विक बाजारों की तुलना में बहुत कम था।

भारत उस समय वैश्विक वित्तीय प्रणाली से कम जुड़ा था, लेकिन इसने भारत को अपनी वित्तीय प्रणाली को मजबूत करने और 1991 में उदारीकरण की नीति अपनाने के लिए प्रेरित किया।

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