उत्तराखंड में नगर निकाय चुनाव के लिए मतदान शोर शराबे के बीच सम्पन्न हो ही गया. मतदान समाप्त होने के बाद जारी आंकड़ों के मुताबिक कुल 65.03% मतदान हुआ. इसमे सबसे अधिक मतदान रुद्रप्रयाग में हुआ जहां 71.5% मतदाताओं ने वोटिंग की।
इसके बाद उधम सिंह नगर 70.6% के साथ दूसरे और नैनीताल 69% के साथ तीसरे नम्बर पर रहा।
चुनावों के दौरान कई जगह वोटरों ने मतदान सूची में नाम न होने से बवाल मचाया. गनीमत रही कोई हिंसा नहीं हुई. उधमसिंह नगर के बाजपुर और हरिद्वार में रुड़की के भगवानपुर में विवाद बढ़ा तो पुलिस को लाठियां भांजनी पड़ी।
बाजपुर में हुआ बवाल
ऊधम सिंह नगर के बाजपुर नगर पालिका इंटर कॉलेज बूथ पर बवाल मच गया. बूथ पर मत पेटी एक कार में रखा मिलने पर हुआ बबाल. इस दौरान जमकर हंगामा हुआ. हंगामे के बाद भीड़ को भगाने के लिए पुलिस ने बल का प्रयोग किया.हरिद्वार के एसएमजेएन कॉलेज पोलिंग बूथ पर वोटिंग के दौरान हंगामा हो गया. यहां भाजपाई और कांग्रेसी आपस में भिड़ गए. जिसमें एक समर्थक की जबरदस्त पिटाई कर दी गई. इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ जिसमें कुछ लोग एक शख्स को लात घूंसो से पीटते हुए नजर आ रहे हैं।
रुड़की में पुलिस ने किया लाठीचार्ज
रुड़की नगर निकाय चुनाव के दौरान प्रत्याशियों और मतदाताओं के बीच हंगामा हुआ, जिसके चलते पुलिस ने लाठीचार्ज किया. हजारों लोग सड़कों पर उतर आए. प्रत्याशियों ने प्रशासन पर धीमी गति से मतदान कराकर चुनाव प्रक्रिया में बाधा डालने और मतदाताओं को वोट देने से रोकने का आरोप लगाया।
जब मतदाताओं ने विरोध जताया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को तितर-बितर कर दिया. मेयर पद के निर्दलीय उम्मीदवार यशपाल राणा धरने पर बैठ गए, वहीं कांग्रेस, बसपा समर्थक और वीरेंद्र रावत भी मौके पर पहुंचे. प्रशासनिक अधिकारियों ने पूरे मामले पर कोई बयान नहीं दिया।
काउंटिंग पर रोक लगाने की मांग
वहीं ऋषिकेश के मंशा देवी वार्ड में भी मतदाता सूची से नाम गायब होने पर लोगों में आक्रोश दिखा. हालांकि जगह जगह हुए इन गतिरोध पर राज्य निर्वाचन आयोग से अब तक कोई जानकारी नहीं आई है।
सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया है कि 100 शहरों में चुनाव के दौरान भारी मात्रा में लोगों का वोटिंग लिस्ट से नाम गायब है. इसके साथ ही उन्होंने हाई कोर्ट के न्यायाधीश से भी गुहार लगाई है कि 25 तारीख को होने वाली काउंटिंग पर भी रोक लगाई जाए।
हरीश रावत को नहीं मिला अपना नाम
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का वोटिंग लिस्ट से नाम गायब हो गया है. लिस्ट से नाम गायब होने पर पूर्व सीएम हैरान है. उन्होंने कहा 2009 से लगातार वह देहरादून में वोट डाल रहे हैं. हरीश रावत ने राज्य निर्वाचन आयोग से शिकायत की हरीश रावत ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने कहा उनका सर्वर डाउन चल रहा है. इसको लेकर पूर्व सीएम ने धामी सरकार पर भी हमला किया उन्होंने कहा कि यह चमत्कारों की पार्टी है चुनाव वाले दिन सर्वर डाउन होना यह सिर्फ भाजपा सरकार में ही मुमकिन है।
उधर मतदान खत्म होने के साथ ही आनन फानन में प्रशासन ने हरीश रावत और उनके परिवार की मतदान सूची सार्वजनिक कर कह दिया की मीडिया भ्रामक खबरें फैला रही थी. जवाब में हरीश रावत ने फेसबुक में पोस्ट किया की मैंने कई बार प्रशासन को शिकायत की लेकिन किसी ने नहीं सुनी बल्कि सर्वर डाउन का हवाला दिया।
हरीश रावत के आरोपों के जवाब में उत्तराखंड भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कह दिया इससे पता चलता है हरीश रावत कितने जागरूक वोटर हैं जिस दिन चुनाव था उस वोटर लिस्ट में अपना नाम ढूंढ रहे हैं. वहीं पिथौरागढ़ में महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी मतदाता सूची में नाम गलत छपने के चलते मतदान नहीं कर पाए।
