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समार्टफोन काफी जरूरी डिवाइस बन चुका है. लेकिन, दिक्कत तब आती है जब फोन चोरी हो जाता है या खो जाता है।
लेकिन, मोबाइल चोरी होने पर आपका घबराना नहीं है. आपको कुछ बातों का ख्याल रखना है।
इससे आप भारी नुकसान से बच जाएंगे. खास बात है कि इन बातों को पुलिस ने ही शेयर किया है।

उत्तराखंड के साइबर/स्पेशल टास्क फोर्स के डिप्टी सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस अंकुश मिश्रा ने बताया कि उन्होंने डैमेज को कम करने के प्रैक्टिकल स्टेप्स शेयर किए हैं।
इन बातों का ख्याल हर किसी को रखना चाहिए. उन्होंने बताया कि जैसे ही आपको पता चले कि फोन गायब है, फटाफट एक्शन लें।

इसके बाद नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करें. CEIR पोर्टल (ceir.gov.in) पर रिपोर्ट करें ताकि डिवाइस ब्लॉक हो जाए. CEIR सिस्टम चुराए गए डिवाइस को ट्रैक और डिसेबल करने में मदद करता है. ब्लैकलिस्ट होने के बाद फोन किसी भी नेटवर्क पर नए SIM के साथ काम नहीं करेगा. इस पोर्टल ने एक-तिहाई चुराए गए फोन्स रिकवर किए हैं, जो इसे सिक्योरिटी का जरूरी टूल बनाता है।

चोरी होने से पहले डेटा कैसे प्रोटेक्ट करें?

मिश्रा के मुताबिक, पहले से तैयारी बहुत सारी मुश्किलों से बचा सकती है. सेंसिटिव ऐप्स को सिक्योर करने के लिए App Locker यूज करें और WhatsApp चैट लॉक्स एनेबल करें ताकि बातचीत प्राइवेट रहे. सबसे जरूरी, UPI PIN और बैंकिंग क्रेडेंशियल्स किसी के साथ शेयर न करें।

Android और iOS फोन्स कितने सिक्योर हैं?

चोरी के मामले में Android और iOS डिवाइसेज में बड़े अंतर हैं. Android फोन्स में बिल्ट-इन SIM लॉकिंग नहीं होती, यानी चोर आसानी से नया SIM डाल सकता है. दूसरी ओर, iPhones में SIM कार्ड Apple ID से लिंक होता है. जिससे चोर के लिए इसे यूज करना या बेचना बिना सिक्योरिटी बायपास किए मुश्किल हो जाता है।

चुराए गए फोन के रिस्क क्या हैं?

डिवाइस खोने और फाइनेंशियल फ्रॉड के अलावा स्मार्टफोन चोरी के दूसरे गंभीर नतीजे हो सकते हैं. Identity theft एक बड़ा खतरा है, जिसमें पर्सनल जानकारी चुराकर गलत यूज की जाती है. प्राइवेसी का भी रिस्क है-फोटोज, वीडियोज और मैसेजेस जैसे सेंसिटिव डेटा एक्सपोज हो सकता है।

ज्यादातर चुराए गए फोन चोर अपने पर्सनल यूज के लिए रखते हैं. कुछ मामलों में इन्हें रीसेल किया जाता है, और कुछ चोर इनके पार्ट्स अलग करके ब्लैक मार्केट में सस्ते दामों पर बेचते हैं।

फोन चोरी हो जाए तो डेटा कैसे सिक्योर करें?

UPI और पेमेंट सर्विसेज से फोन को डीलिंक करें.
बैंक को नोटिफाई करें ताकि ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स रेस्ट्रिक्ट हों.
ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड्स चेंज करें.
WhatsApp और दूसरी ऐप्स से रिमोटली लॉगआउट करें.
अगर उपलब्ध हो, तो रिमोट वाइप फीचर यूज करके स्मार्टफोन का सारा डेटा इरेज करें।

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