इस वर्ष अभी तक साइबर ठगी की 24 हजार शिकायतें आयी और 83 मुकदमे दर्ज
देहरादून। तेजी से बढ़ रहे साइबर ठगी के मामलों को अंजाम देने वाले ठग आसानी से पुलिस की पकड़ में नहीं आ रहे हैं। वर्ष 2024 में साइबर ठगी की 24 हजार शिकायतें आ चुकी हैं और 83 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
गिरफ्तारी की बात करें तो सिर्फ 107 साइबर ठगों पर अब तक कार्रवाई हो पाई है। इनमें 59 की गिरफ्तारी, जबकि 48 को नोटिस जारी किया गया है। जिन साइबर ठगों को नोटिस दिया गया है, उनके खिलाफ कोई पुख्ता साक्ष्य नहीं मिले हैं।
साइबर ठगों की गिरफ्तारी में देरी का एक कारण संसाधनों की कमी भी है। साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन, देहरादून में केवल चार निरीक्षक, 10 दारोगा व तीन अपर उपनिरीक्षक हैं। गिनती का स्टाफ होने के चलते समय पर साइबर पुलिस की कार्रवाई शुरू नहीं हो पा रही है।
साइबर अपराधी झारखंड, बिहार, राजस्थान के दूरदराज क्षेत्रों में बैठे हुए हैं। ऐसे में इनकी गिरफ्तारी तत्काल करना पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ है। दूसरी ओर पुलिस के पास साइबर अपराधियों की धरपकड़ के अलावा पुलिस फोर्स व स्कूल-कालेजों में प्रशिक्षण की जिम्मेदारी भी है।
ठगी के इस तरह के मामले आ रहे सामने
फिशिंग : इसमें ठग नकली वेबसाइट्स, ईमेल या टेक्स्ट मैसेज का उपयोग करके लोगों से उनकी व्यक्तिगत जानकारी (जैसे बैंक डिटेल्स, पासवर्ड्स आदि) चुरा लेते हैं। आमतौर पर ये संदेश बैंक या किसी संस्थान से होने का दावा कर लोगों को झांसे में लिया जाता है।
वीशिंग: यह फोन काल्स के माध्यम से की जाती है। जहां ठग किसी वैध संस्थान का कर्मचारी होने का नाटक करते हैं और पीड़ित को व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी देने के लिए बहलाते हैं।
स्मिशिंग: इसमें फर्जी टेक्स्ट मैसेज का उपयोग किया जाता है। जिसमें लिंक या मैसेज द्वारा पीड़ित को क्लिक करने के लिए उकसाया जाता है। जैसे ही पीड़ित लिंक पर क्लिक करता है, उसके खाते से रकम उड़ा ली जाती है।
आनलाइन शापिंग ठगी: फर्जी ई-कामर्स वेबसाइट्स या इंटरनेट मीडिया पेजों के माध्यम से ग्राहकों से पैसे ऐंठे जाते हैं। आमतौर पर ये सामान बेचने का दावा करते हैं, लेकिन रुपये लेने के बाद कोई प्रोडक्ट नहीं भेजते हैं।
क्रिप्टोकरेंसी और निवेश ठगी: ठग क्रिप्टोकरेंसी या अन्य निवेश स्कीमों में अधिक लाभ का वादा करके लोगों से रुपये ऐंठते हैं। कई बार यह फर्जी निवेश प्लेटफार्म का उपयोग करते हैं और पीड़ित को लालच में फंसाते हैं।
इंटरनेट मीडिया स्कैम: इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म का उपयोग करके ठग फर्जी प्रोफाइल्स या पेज बनाते हैं और लोगों को रुपये देने के लिए प्रेरित करते हैं। इनमें रोमांस स्कैम, नौकरी का वादा या लाटरी जीतने का झांसा शामिल हो सकता है।
फर्जी बैंकिंग एप: ठग फर्जी बैंकिंग एप बनाते हैं और लोगों को इन एप को डाउनलोड करने के लिए प्रेरित करते हैं। एक बार एप डाउनलोड होने के बाद ये एप पीड़ित की व्यक्तिगत जानकारी चुरा सकते हैं।
सेक्सटार्शन ठगी: इसमें ठग किसी व्यक्ति की निजी फोटो या वीडियो का इस्तेमाल करके उन्हें धमकाते हैं और फिरौती की मांग करते हैं। यह अक्सर इंटरनेट मीडिया या ईमेल के माध्यम से किया जाता है।
डिजिटल अरेस्ट : इन दिनों यह स्कैम सबसे अधिक चल रहा है। ठग पहले कोरियर के अंदर कोई अवैध वस्तु होने की बात कहकर डराते हैं और गिरफ्तारी का भय दिखाकर पीड़ित के खातों में धनराशि अपने खाते में मंगवा लेते हैं।
साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में स्टाफ बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। जागरुकता से ही लोग साइबर ठगी की घटनाओं से बच सकते हैं। यदि किसी के साथ साइबर ठगी हो भी जाती है तो वह तत्काल 1930 पर फोन कर सकता है।