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हल्द्वानी। हिमालय स्वराज सेवा ट्रस्ट द्वारा श्रीमद्भागवत कथा श्रंखला के अंतर्गत नौवीं कथा का आयोजन सरस्वती बिहार, बिठौरिया नंबर 1 में किया जा रहा है।

आज कथा के तृतीय दिवस पर कथा व्यास उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध कथा वाचक विवेकानंद जोशी जी ने कुमाउनी भाषा में भक्त प्रह्लाद चरित्र एवं भगवान नृसिंह अवतार का भावपूर्ण वर्णन किया।

आज के जजमान के रूप में गोविंद सिंह रावत, लीला देवी, दीपक सिंह रावत एवं कविता रावत उपस्थित रहे। पूजन कार्य पं. मनोज कुमार पंत तथा पं. संतोष जोशी द्वारा संपन्न कराया गया।

ट्रस्ट की अध्यक्षा ममता रूवाली ने बताया कि हिमालय स्वराज सेवा ट्रस्ट द्वारा सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु एक वर्ष में लगातार 11 श्रीमद्भागवत कथाओं के आयोजन का संकल्प लिया गया है।

इसी क्रम में यह नौवीं कथा आयोजित की जा रही है। उन्होंने स्थानीय जनता से अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर तन-मन-धन से सहयोग कर पुण्य लाभ अर्जित करने की अपील की।

ट्रस्ट की ओर से कोषाध्यक्ष हेम पंत, प्रकाश जोशी, हर्ष वर्द्धन पांडे, निर्मला रूवाली, शंकर रूवाली एवं नीमा रूवाली उपस्थित रहीं।

आज का मुख्य प्रसंग:

कथा व्यास जी ने भक्त प्रह्लाद की अटूट भक्ति एवं भगवान नृसिंह के अवतरण का दिव्य वर्णन करते हुए कहा कि जब-जब अधर्म बढ़ता है और भक्तों पर अत्याचार होता है, तब-तब भगवान किसी न किसी रूप में अवतार लेकर अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।

बालक प्रह्लाद ने पिता हिरण्यकशिपु के समक्ष भी भक्ति का मार्ग नहीं छोड़ा और कहा—

हिरण्यकशिपु के प्रहार से खंभे से स्वयं भगवान नृसिंह प्रकट हुए और उन्होंने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा करते हुए अत्याचारी हिरण्यकशिपु का संहार किया।

कथा व्यास जी ने कहा कि यह प्रसंग केवल धर्म की विजय नहीं बल्कि भक्ति, श्रद्धा और विश्वास की शक्ति का प्रतीक है।

जब हृदय में निष्ठा होती है, तब भगवान स्वयं भक्त की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं।

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